देहरादून (नेटवर्क 10 संवाददाता)। देहरादून में एक मुस्लिम भाई ने अपना रोजा तोड़कर एक बच्चे की जान बचाई है। इसे कहते हैं इबादत से पहले नेकी करना। इस भाई ने रोजा तोड़कर रक्तदान किया और आखिर दस साल के मासूम की जान बच गई। इस बच्चे को थैलेसीमिया है।
दरअसल उत्तरकाशी के पुरोला निवासी अनुज अग्रवाल का दस साल का बेटा थैलेसीमिया से पीड़ित है। वे हर पंद्रह दिन में बच्चे को खून चढ़ाने के लिए देहरादून आते हैं। शनिवार को भी वे देहरादून के वरदान अस्पताल में बच्चे को खून चढ़ाने के लिए पहुंचे। बच्चे को बी नेगेटिव रक्त की आवश्यकता थी, लेकिन खून नहीं मिला।
अनुज अग्रवाल खून को आईएमए ब्लड बैंक में भी खून नहीं मिला तो वे हतोत्साहित हो गए। अनुज अग्रवाल बेटे को खून चढ़ाने के लिए बाकायदा प्रशासन से पास लेकर पुरोला से देहरादून पहुंचे थे। जब उन्हें खून नहीं मिला तो कुछ युवकों ने इस संदेश को सोशल मीडिया के माध्यम से वायरल कर मदद की गुहार लगाई।
इसी बीच ये मैसेज जैन काजी नाम के युवक को मिला। जैन काजी देहरादून के टर्नर रोड इलाके में रहते हैं। वे देहरादून में अपना कारोबार करते हैं। जैन काजी ने इंसानियत की मिसाल पेश करते हुए अपने वाहन से आइएमए ब्लड बैंक पहुंचे। जहां उन्होंने रोजा तोड़कर बच्चे के लिए रक्तदान किया। जैन काजी ने बताया कि ऐसे समय में किसी की जान बच जाए, इससे बड़ी बात उनके लिए क्या होगी।
रक्तदान के बाद अभय के पिता अनुज अग्रवाल भावुक हो गए। उन्होंने कहा कि पहले उन्हें यहां आकर रक्त के लिए भटकना नहीं पड़ता था, लेकिन अब लॉकडाउन के चलते लोग घरों में ही हैं। रमजान के पाक महीने में जैन काजी ने इंसानियत के धर्म को पहले मानकर बच्चे की जान बचाई। वे हम सबके लिए किसी भगवान से कम नहीं हैं।