यूजेवीएनएल के तीन पावर प्रोजेक्ट छिबरो, चीला व पथरी कुल मिलाकर हर साल जितनी बिजली पैदा करते हैं, राज्य में उससे ज्यादा बिजली सालाना लाइन लॉस और चोरी में व्यर्थ चली जाती है। इससे यूपीसीएल को सालाना 900 करोड़ रुपये का नुकसान हो रहा है। यदि ये नुकसान रुक जाए तो यूपीसीएल को बाहर से महंगी बिजली खरीदने की जरूरत नहीं पड़ेगी। यह बात विभागीय आंकड़ों से सामने आई है।
राज्य की बिजली जरूरत 13881 मिलियन यूनिट की है। इसे पूरा करने में जल विद्युत निगम सिर्फ 4800 मिलियन यूनिट का ही सहयोग कर पाता है। शेष बिजली राज्य को केंद्र सरकार के साथ ही यूपीसीएल की ओर से किए गए पावर परचेज एग्रीमेंट से मिलती है। इसके बाद भी जो कमी रहती है, उसे पूरा करने के लिए बाजार से बिजली खरीदी जाती है। उधर यूजेवीएनएल को छिबरो प्रोजेक्ट से 982.795 एमयू, चीला से 793.612 एमयू और पथरी से 117.268 एमयू यानी की सालाना कुल 1893.675 एमयू बिजली मिलती है।
दूसरी ओर सालभर में करीब 1860 एमयू बिजली का नुकसान भी हो रहा है। बिजली चोरी रुकने पर राज्य को बाजार से अतिरिक्त रूप से बिजली खरीदने की जरूरत ही नहीं होगी।
यूपीसीएल को सालाना जो 13881 मिलियन यूनिट बिजली मिलती है, उसमें से यूपीसीएल सिर्फ 12021 एमयू का ही पैसा वसूल पाता है। ये 13.04 प्रतिशत का नुकसान पूरे पावर सिस्टम पर भारी पड़ रहा है।
लॉकडाउन में घट गई थी मांग
बिजली चोरी, लाइनलॉस का ये आंकड़ा कोरोना संकट में लॉकडाउन के दौरान सुधर गया था। लॉकडाउन से पहले 20 मार्च को जहां बिजली की मांग 34.09 एमयू प्रतिदिन थी। वो लॉकडाउन के बाद एक अप्रैल को गिरकर 17.9 एमयू पर डे पर पहुंच गई। हालांकि इस दौरान उद्योग और वाणिज्यिक प्रतिष्ठान बंद रहे। इससे यूपीसीएल को न कटौती की जरूरत पड़ी, न बाहर से बिजली खरीदने की। उल्टा बिजली इतनी बच गई कि उसे बाजार में बेचना पड़ा।
यहां हो रही बिजली चोरी
उत्तराखंड में सबसे ज्यादा बिजली चोरी चार मैदानी जिलों में हो रही है। कुल नुकसान का अकेले 85 प्रतिशत भाग देहरादून, हरिद्वार, यूएसनगर और नैनीताल जिले में हो रहा है जबकि शेष नौ जनपदों में 15 प्रतिशत नुकसान हो रहा है। संवेदनशील क्षेत्रों में शामिल रुद्रपुर में 8.01 प्रतिशत, हरिद्वार में 11.55 प्रतिशत, काशीपुर में 10.30 प्रतिशत, रुड़की में 31.33 प्रतिशत, भगवानपुर 12.38 प्रतिशत, जसपुर में 11.89 प्रतिशत, ज्वालापुर 21.75 प्रतिशत, लक्सर 25.85 प्रतिशत बिजली चोरी हो रही है। मंगलौर, लंढौरा, लक्सर, जसपुर क्षेत्र सबसे अधिक संवेदनशील क्षेत्र हैं।
उत्तराखंड में लाइन लॉस कम करने को हरसंभव प्रयास कर रहे हैं। डिवीजन-सब डिवीजनों के लिहाज से भी लाइन लॉस का ब्योरा जुटाया जा रहा है। जिन क्षेत्रों में सबसे ज्यादा लाइन लॉस, बिजली चोरी हो रही है, उन्हें चिह्नित कर सख्त कार्रवाई करेंगे। लाइन लॉस हर हाल में न्यूनतम स्तर पर लाया जाएगा।
नीरज खैरवाल, एमडी, यूपीसीएल