पटना. वाम दलों के बिहार महागठबंधन (Grand Alliance) का हिस्सा बनने की सहमति के बाद सबसे अधिक चर्चा इस बात की होने लगी कि क्या कन्हैया कुमार और तेजस्वी यादव (Kanhaiya Kumar and Tejaswi Yadav) अब एक मंच पर नजर आएंगे? जाहिर है इन दोनों युवा नेता के एक साथ आने का असर बिहार विधानसभा चुनाव (Bihar Assembly Election) में भी पड़ सकता है. हालांकि अब इस मसले को लेकर सियासत भी शुरू हो गई है. गठबंधन में शामिल सीपीआई ने कहा कि पार्टी कन्हैया को चुनाव मैदान में उतारेगी और तेजस्वी के साथ मिलकर वह चुनाव प्रचार करेंगे. हालांकि आरजेडी इसके साथ ही यह बताने पर उतर आई है कि बिहार में सबसे बड़े नेता तेजस्वी यादव हैं. वहीं बीजेपी और जेडीयू कह रही है कि दोनों नेताओं में जमीन-आसमान का अंतर है.
बता दें कि शनिवार को सीपीआई नेता विजय नारायण मिश्र ने कहा कि सीपीआई (CPI) ज्यादा से ज्यादा जगहों पर कन्हैया को उतारने की योजना पर काम कर रही है. इसके साथ ही यह भी रणनीति बन रही है कि तेजस्वी और कन्हैया दोनों मिलकर चुनाव प्रचार करें. ऐसा होता है तो बिहार को बदला जा सकता है. कन्हैया को लेकर तेजस्वी की क्या समझ है पता नहीं पर अगर साथ होकर प्रचार किये तो बड़ा बदलाव आयेगा.
वहीं आरजेडी खुलकर कन्हैया के साथ आने की बात पर परहेज करती दिख रही है. पार्टी के नेता मृत्युंजय तिवारी ने कहा कि तेजस्वी बिहार के सबसे बड़े नेता हैं, साथ जो भी आएगा उनका स्वागत होगा. वामदल के साथ गठबंधन है तो जो भी प्रचार में आयेंगे उनका स्वागत है. दोनों युवा हैं और दोनो के साथ आने से मजबूती होगी.
वहीं बीजेपी ने तेजस्वी- कन्हैया के साथ पर हमला बोला है. बीजेपी प्रवक्ता निखिल आनंद ने कहा कि कन्हैया जेएनयू के फर्जी समाजवादी हैं और तेजस्वी विरासत में मिली राजनीति को संभाल रहे हैं. कन्हैया सीपीआई का प्रोपगेंडा है और कन्हैया के बहाने तेजस्वी को खत्म करने की साजिश है. अब या तो तेजस्वी रहेंगे या फिर कन्हैया.
वहीं कन्हैया-तेजस्वी के साथ पर जेडीयू प्रवक्ता संजय सिंह ने कहा कि कन्हैया जेएनयू से पास छात्र है जबकि तेजस्वी नौंवी फेल छात्र. तेजस्वी और कन्हैया का कोई तालमेल नहीं. जो भी साथ आ जाए बिहार की जनता मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को ही जिताएगी. सीएम नीतीश केअलावा जनता का समर्थन किसी को भी नहीं मिलेगा.