अब शराब के कारोबार की व्यवस्था को पूरा पारदर्शी बनाने में जुटी उत्तराखंड सरकार

उत्‍तराखंड में अब शराब के कारोबार में पश्चिम बंगाल की तर्ज पर पारदर्शी व्यवस्था बनाने की तैयारी चल रही है। इसके लिए पूरे विभाग को ऑनलाइन किया जा रहा है। शराब का लाइसेंस बनाने से लेकर शराब की आपूर्ति पर ऑनलाइन नजर रखी जाएगी। लाइसेंसी दुकानों में अवैध शराब न रखी जाए इसके लिए हर बोतल पर क्यूआर कोड लगाने के साथ ही इसमें होलोग्राम भी लगाया जाएगा। अवैध शराब पर छापेमारी के फोटो भी ऑनलाइन ही अपलोड किए जाएंगे। इसके लिए एनआइसी के सहयोग से सॉफ्टवेयर भी तैयार किया जा रहा है।

प्रदेश में आबकारी सबसे अधिक राजस्व देने वाले महकमों में शामिल है। विभाग का इस वर्ष का राजस्व लक्ष्य 3200 करोड़ रुपये का है। सरकार को राजस्व देने के साथ ही आबकारी सबसे विवादित महकमा भी यही रहता है। यहां लाइसेंस देने से लेकर शराब की आपूर्ति तक में हेरा-फेरी के आरोप लगते रहे हैं। इसके लिए नीतियों में हर बार बदलाव होता रहा है। लंबे समय से विभाग में पारदर्शी कार्य व्यवस्था बनाने की मांग भी की जा रही है। इस कड़ी में अब पूरे महकमे के कार्यों को ऑनलाइन किया जा रहा है। ऑफिस के सारे कार्य ई-फाइलिंग से निपटाए जाएंगे। वहीं, फील्ड की व्यवस्था को भी सीधे ऑफिस के कंप्यूटर से जोड़ा जाएगा। इसके लिए एक सॉफ्टवेयर तैयार किया जा रहा है। इस सॉफ्टवेयर को विभाग के सभी कंप्यूटरों में इंस्टॉल किया जाएगा। इसके बाद इसे मुख्य सर्वर से जोड़ा जाएगा। ताकि सारी व्यवस्था कहीं से भी एक क्लिक के माध्यम से देखी जा सके। वहीं, प्रभारी आबकारी सचिव सुशील कुमार का कहना है कि आबकारी विभाग की पूरी व्यवस्था को ऑनलाइन करने की तैयारी चल रही है। इससे विभागीय कार्यों में पारदर्शिता आएगी। एनआइसी को सॉफ्टवेयर बनाने को कहा गया है।

ऑनलाइन जारी होंगे लाइसेंस

शराब के लाइसेंस जारी करने का काम भी ऑनलाइन होगा। लाइसेंस के लिए आवेदन करने और फीस जमा करने पर पर आवेदक को एक नंबर जारी किया जाएगा। इस नंबर के आधार पर आवेदन की फाइल को ऑनलाइन ही ट्रेक किया जा सकेगा। इससे यह भी पता चल सकेगा कि कौन सी फाइल कहां रुकी हुई है। लाइसेंस में संबंधित अधिकारी के डिजीटल हस्ताक्षर होंगे। यानी एक बार आवेदन करने के बाद लाइसेंस भी ऑनलाइन ही प्राप्त किए जा सकेंगे।

जीपीएस लगे वाहनों से होगी आपूर्ति

विभाग में शराब की आपूर्ति में लगे वाहनों में जीपीएस लगाया जाएगा। इन्हीं वाहनों से ही शराब के साथ ही स्पिरिट और इथेनॉल की सप्लाई की जाएगी। वाहनों के रास्ता बदलने व कहीं भी रुकने के संबंध में पूरी जानकारी विभाग के पास रहेगी। गोदाम से लेकर दुकानों तक शराब पहुंचने के काम पर सीधे विभाग की नजर रहेगी।

बोतलों में लगेंगे क्यूआर कोड

गोदाम से शराब की बोतलों की निकासी से पहले हर बोतल पर एक क्यूआर कोड और होलोग्राम लगाया जाएगा। यह क्यूआर कोड कंप्यूटर पर दर्ज होगा। शराब की दुकानों में जांच के दौरान इस कोड को स्कैन किया जाएगा। इससे यह पता चल सकेगा कि जो शराब की बोतल एक दुकान के लिए आवंटित की गई है कहीं उसे दूसरे दुकानों के जरिये बेचने का प्रयास तो नहीं किया जा रहा है। होलोग्राम से यह पता चलेगा कि यह शराब उत्तराखंड में ही बिक्री के लिए है। होलोग्राम में डुप्लीकेसी से बचने के लिए इस बार इन्हें नासिक की प्रिंटिंग प्रेस में छपवाया जा रहा है।

छापेमारी की होगी रिकॉर्डिंग

अवैध शराब व तस्करी के मामलों में छापेमारी के दौरान पूरी रिकॉर्डिंग की जाएगी। इसके साथ ही स्मार्ट फोन से फोटो खींच कर विभागीय वेबसाइट पर डाली जाएगी। इससे यह पता चल सकेगा की विभागीय चेकिंग टीम ने कहां और कब कार्रवाई की है।

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