बागेश्वर (नेटवर्क 10 संवाददाता)। उत्तराखंड के पहाड़ों में अब ऑस्ट्रेलिया की भेड़ें स्वरोजगार का अच्छा साधन बन सकती हैं। इसकी शुरुआत हुई है बागेश्वर जिले से। यहां कोरोना काल में आस्ट्रेलिया की मेरिनो नस्ल की भेड़ें लाई गई हैं। बताया गया है कि इस नस्ल की एक भेड़ की कीमत तीन लाख रुपये है। बताया गया है कि एक भेड़ का वजन करीब एक क्विंटल तक हो सकता है। इस भेड़ की ऊन से उच्च गुणवत्ता का पश्मीना बनाया जाता है। एक साल में एक भेड़ 200 किलो तक ऊन देती है। इसके बनाए कपड़ों की भी बाजार में बेहतर कीमत मिलती है।
बागेश्वर जिले के शामा और कर्मी में पहली खेप में ये भेड़ें लाई गई हैं। आपको बता दें कि इन दोनों इलाकों में भेड़ पालन का काम किया जाता है। ये भेड़ें पशुपालन विभाग की तरफ से लाई गई हैं। विभाग का कहना है कि इनसे भेड़ पालकों की आर्थिकी में सुधार होगा। इतना ही नहीं भेड़ नस्ल सुधार पर भी पशुपालन विभाग काम करेगा। विभाग का कहना है कि इन भेड़ों से जहां उच्च गुणवत्ता की ऊन प्राप्त होगी, वहीं मात्रा में भी वृद्धि होगी। इन भेड़ों से प्राप्त होने वाली ऊन से विदेशी ऊन पर आत्मनिर्भरता कम होगी। देश में 95 प्रतिशत ऊन का आयात ऑस्ट्रेलियन मेरिनों का होता है।
ऑस्ट्रेलिया से आयातित मेरिनों भेड़ से राज्य के भेड़ पालकों को उच्च गुणवत्ता के नर मेढ़ें उपलब्ध होंगे। इस भेड़ की खासियत होती है कि इसकी ऊन काफी बेहतर किस्म की मानी जाती है और महंगी ऊनों में शामिल होती है। इसकी कीमत बाजार में डेढ़ सौ रुपये से शुरु होती है। कम माइक्रोन की ऊन की और बेहतर कीमत मिलती है।