देहरादून। चोरी-छिपे उत्तराखंड में दाखिल होने और पुलिस की चेतावनी के बाद भी सामने न आने वाले जमातियों की मुश्किलें अब बढ़ने वाली हैं। आरोपित जमातियों के खिलाफ पुलिस चार्जशीट को अंतिम रूप देने में जुटी है। कुछेक मामलों में चार्जशीट क्षेत्रधिकारी तक पहुंच भी गई है। इसलिए जल्द गिरफ्तारी शुरू हो सकती हैं।
कोरोना का संकट शुरू होने के दौरान मार्च के आखिरी सप्ताह में दिल्ली के तब्लीगी मरकज का मामला सुर्खियों में आया था। वहां से चोरी-छिपे सैकड़ों की संख्या में जमाती निकलकर देश के तमाम शहरों को गए। इसका नतीजा यह हुआ कि कोरोना का संक्रमण और तेजी से फैलने लगा। इस दौरान उत्तराखंड में भी 1436 जमातियों का पता लगाया गया। इसमें से करीब सात सौ को संस्थागत क्वारंटाइन, जबकि 541 होम क्वारंटाइन में रखकर पुलिस ने स्थिति नियंत्रण में करने की कोशिश की। इन सब के बावजूद कई जमाती छिपे रहे, जिन्हें बाद में पुलिस ने खोजा। ऐसे जमातियों के खिलाफ अप्रैल से अब तक 21 मुकदमे दर्ज हुए, जिनमें 62 को आरोपित बनाया गया है। इसमें से आठ जमातियों पर गैर इरादतन हत्या का मुकदमा दर्ज हुआ है।
आमतौर पर तौर गंभीर मामलों में पुलिस को 90 दिन के भीतर चार्जशीट दाखिल करनी होती है, जबकि जमातियों के मामले में यह अवधि चार माह से अधिक हो चुकी है। हालांकि इस बीच लॉकडाउन के चलते जांच आगे नही बढ़ पाई थी, लेकिन अनलॉक के बाद जांच ने तेजी पकड़ ली है।
अशोक कुमार (पुलिस महानिदेशक, अपराध एवं कानून व्यवस्था) का कहना है कि जमातियों के कुछ मामलों की अभी विवेचना चल रही है। इस पर जिलों से अपडेट देने को कहा गया है। वहां से रिपोर्ट आने के बाद विधिक कार्रवाई आगे बढ़ाई जाएगी।