धनौल्टी: प्रशासन की मनाही और लाख कोशिशों के बाद भी जौनपुर विकासखंड की बिरोड़ ग्राम में महासू देवता का जागड़ा पर्व धूमधाम से मनाया गया. इस दौरान राजपुर (देहरादून) विधायक खजान दास भी जागड़ा पर्व में शिरकत करने पहुंचे. जहां उन्होंने देवता के चांदी के ढोल को भी बजाया. कोरोना संक्रमण के दौर में जहां सोशल डिस्टेंसिंग को ध्यान में रखकर सभी आयोजन किये जा रहे हैं, वहीं जागड़ा पर्व में जमकर इन नियमों की धज्जियां उड़ाई गई.
भले ही कोरोना संक्रमण को देखते हुए इस साल महासू देवता के जागड़ा पर्व को मंदिर समिति ने सूक्ष्म रूप से मनाया. फिर भी यहां बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचे. जिन्होंने यहां पहुंचकर महासू देवता राजा रघुनाथ के दर्शन कर सुख समृद्धि का कामना की.
श्रद्धालुओं ने दर्शन के साथ-साथ डोली को ढोल नगाड़ों की धुन के साथ महासू देवता की डोली को नदी में स्नान कराया. इस मौके पर मन्दिर परिसर में पश्वा भी देवता के ढोल के साथ अवतरित हुए. शाम को डोली को फिर से मंदिर प्रांगण में पूजा अर्चना के लिए रखा गया. इस मौके पर मन्दिर में भजन संध्या का भी आयोजन किया गया है.
महासू देवता राजा रघुनाथ जागड़ा पर्व में पूर्व काबीना मंत्री और वर्तमान में राजपुर विधायक खजान दास भी पहुंचे. उन्होंने महासू देवता के दर्शन कर प्रदेशवासियों की सुख-समृद्धि की कामना की. इस दौरान उन्होंने देवता के चांदी के ढोल को भी बजाया जो कि पहले जमाने में उनके पूर्वजों द्वारा बजाया जाता था.
वर्षों पुरानी मान्यता है कि उस गांव की ध्याण (ब्याही बेटी बहन) जो अपने ससुराल में रहती हैं. अगर उसके ससुराल में किसी भी प्रकार की परेशानी या उसके बच्चों कोई दु:ख या बीमारी हो तो वो ध्याण अपने देवता का सुमिरन करके भगवान रघुनाथजी से अपनी और अपने परिवार की सुख-समृद्धि की कामना करती हैं. जिसके बाद रघुनाथ उनकी रक्षा के लिए उनके ससुराल तक जाते हैं और उन धियाणियों की मन्नतें पूरी करते हैं.
वहीं, देवभूमि के गढ़वाल की भाषा में ये देवता महासू के नाम से भी जाने जातें हैं. मान्यता है कि जगाड़े के दिन भगवान राजा रामनाथ की डोली को स्नान कराया जाता है. जिसके बाद पूरे गांव में सभी देवता भ्रमण के लिए निकलते हैं और समापन में फल, श्रीफल और छत्र चढ़ाया जाता है. वहीं, बारी-बारी से गांवों में जगाड़े का आयोजन होता है.