देहरादून। उत्तराखंड में अब कोई भी व्यक्ति अग्रिम जमानत ले सकेगा। दरअसल खुद को गैर जमानतीय धाराओं में साजिशन फंसाने के अंदेशे को देखते वो अग्रिम जमानत ले सकता है। अग्रिम जमानत के लिए सेशन न्यायालय या फिर उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया जा सकता है। विधि विरुद्ध क्रियाकलाप, मादक पदार्थो की तस्करी, सरकारी गोपनीयता को भंग करने व पोस्को समेत छह मामलों में अग्रिम जमानत नहीं मिल पाएगी। इसके लिए सरकार ने अब दंड प्रक्रिया संहिता (उत्तराखंड संशोधन) विधेयक की अधिसूचना जारी कर दी है।
आपको बता दें कि प्रदेश में अभी तक अग्रिम जमानत का प्रविधान लागू नहीं था। इस पर अविभाजित उत्तर प्रदेश में आपातकाल के दौरान प्रतिबंध लगा दिया गया था। अन्य राज्यों में इस प्रविधान के लागू होने के बाद उत्तराखंड में भी इसे लागू करने का निर्णय लिया गया। इसे पहले कैबिनेट ने प्रस्ताव के रूप में मंजूरी दी और फिर विधानसभा से विधेयक के रूप में पारित किया गया। अब इसकी अधिसूचना जारी कर दी गई है। इसमें यह स्पष्ट किया गया है कि यदि किसी व्यक्ति को लगता है कि उसे किसी गैर जमानतीय अपराध किए जाने के अभियोग में गिरफ्तार किया जा सकता है, तो वह इस अध्यादेश की धारा 438 के अंतर्गत उच्च न्यायालय या सेशन न्यायालय में यह आवेदन कर सकता है कि ऐसी गिरफ्तारी की स्थिति में उसे जमानत पर छोड़ दिया जाए।
हालांकि, न्यायालय अभियोग की प्रकृति और गंभीरता, आवेदक के पुराने आपराधिक इतिहास, न्याय से भागने की संभावना आदि पर विचार कर आवेदन को स्वीकार अथवा अस्वीकार कर सकता है। अग्रिम जमानत देने पर शर्त होगी कि वह व्यक्ति पुलिस को पूछताछ के लिए उपलब्ध रहेगा। आवेदक बिना अनुमति देश से बाहर नहीं जाएगा। यह भी स्पष्ट किया गया है कि आवेदक को विधि विरुद्ध किए गए कार्यो, राज्य के विरुद्ध अपराधों के विषय और पोस्को अधिनियम के तहत आने वाले अपराधों के साथ ही ऐसे अपराध, जिनमें मृत्युदंड का प्रविधान है, पर अग्रिम जमानत नहीं दी जाएगी।