नई दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को कहा कि, केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख को ‘कार्बन न्यूट्रल’ क्षेत्र बनाने की दिशा में तेजी से काम हो रहा है. कार्बन न्यूट्रल का तात्पर्य वातावरण में कार्बन उत्सर्जन और उसके अवशोषित होने के बीच संतुलन स्थापित करने से है. ये महत्वपूर्ण है, क्योंकि ग्रीन हाऊस गैस या कार्बन उत्सर्जन जलवायु पर प्रतिकूल प्रभाव डाल रहा है.
7500 मेगावाट का सौर ऊर्जा संयंत्र
पर्यावरण मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया कि, सिक्किम ने रासायनिक खाद मंगाना बंद कर दिया और उसके बाद से खेती वाली जमीन वास्तव में जैविक है, जहां किसान जैविक खाद का उपयोग करते हैं. साल 2018 में पूर्वोत्तर के इस राज्य ने खाद्य और कृषि संगठन (एफएओ) का ‘फ्यूचर पॉलिसी एवार्ड’ जीता था. वहीं, लद्दाख में वायु और सौर ऊर्जा से जुड़ी कई परियोजनाओं आगे बढ़ाई जा रही हैं. इनमें 7500 मेगावाट का सौर ऊर्जा संयंत्र आने वाला है, जिससे केंद्र शासित प्रदेश में कार्बन के प्रभाव में काफी कमी आने की उम्मीद है. इसके साथ ही ये ‘कार्बन न्यूट्रल’ बनने में योगदान करेगा.
लद्दाख में सौर ऊर्जा की काफी संभावनाएं
पर्यावरण मंत्रालय में संयुक्त सचिव जिग्मेट ताकपा ने कहा कि, ‘लद्दाख में सौर ऊर्जा की काफी संभावनाएं हैं. अब से पांच वर्ष के भीतर वहां 7500 मेगावाट का सौर ऊर्जा संयंत्र स्थापित हो जायेगा, जिससे कार्बन के प्रभाव में काफी कमी आयेगी.’
लद्दाख को ‘कार्बन न्यूट्रल’ बनाना विकास की सोच
मंत्रालय के एक अन्य वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि, भारत के कुल कार्बन उत्सर्जन में लद्दाख का केवल 0.1 प्रतिशत योगदान है. उन्होंने कहा कि, ‘लद्दाख को ‘कार्बन न्यूट्रल’ बनाना विकास की सोच है. ये केंद्र शासित प्रदेश में विकास गतिविधियों और कार्बन उत्सर्जन को कम करने को लक्षित है.’ अधिकारी ने आगे कहा कि, ‘सरकार सौर और पवन ऊर्जा के लिये निवेश की योजना बना रही है और इसकी घोषणा जल्द की जायेगी.’