मोबाइल गेम्स के जरिए कंपनियां खेल रही ठगी का खेल

देहरादून: कोरोना काल और लॉकडाउन के दौरान स्कूल बंद होने के साथ ही आवाजाही पर पाबंदियां हैं. जिसके कारण बच्चे और युवा अपना ज्यादातर समय मोबाइल, वीडियो गेम्स पर बीता रहे हैं. ऐसे में कई बच्चों में मोबाइल और गेम्स की ये लत नशे की तरह बढ़ती जा रही है. इतना ही नहीं गेम्स खेलने के दौरान अब बच्चे चोरी-छिपे मां-बाप के बैंक अकाउंट डिटेल निकालकर ऑनलाइन लाखों रुपए इन मोबाइल गेम्स के जाल में आकर गवां रहे हैं.

देहरादून साइबर पुलिस स्टेशन में कई अभिभावक मोबाइल गेम्स और कंपनियों के खिलाफ ठगी की शिकायत कर चुके हैं. इतना ही नहीं इस विषय में मनोचिकित्सकों का मानना भी है कि ठगी वाले मोबाइल गेम्स बच्चों के दिलो-दिमाग पर बुरा असर डालते हैं. जिससे वे भविष्य में मानसिक रोगी भी हो सकते हैं.

6-30 साल तक की उम्र के लोग नशे की तरह मोबाइल गेम्स की गिरफ्त में
मनोचिकित्सक मानते हैं कि लॉकडाउन के दौरान बच्चे घर पर रहते हुए मोबाइल गेम्स पर ज्यादा समय बीताते हैं. जिसके कारण धीरे-धीरे वे कम्पनियों के जाल में एक ड्रग एडिक्ट की तरफ फंस जाते हैं. लगभग 6 से 30 साल तक के बच्चे और युवाओं के दिलों-दिमाग से लेकर अवचेतन मन तक ये असर डालते हैं. हालात यह है कि अब बच्चे चोरी-छुपे अपने मां-बाप के लाखों रुपए इन गेम्स में उड़ा रहे हैं. मनोचिकित्सक डॉ. मुकुल के मुताबिक हाल ही में उनके पास ऐसा ही एक केस आया है. जिसमें एक सरकारी ऑफिसर के छोटा भाई को मोबाइल्स गेम्स में फंसाकर 20 लाख रुपए ठगे गए.

मानसिक बीमारी का घर भी बन सकता है मोबाइल गेम: मनोचिकित्सक
मनोचिकित्सक डॉक्टर मुकुल शर्मा का कहना है कि मोबाइल्स पर घंटों गेम्स खेलने से न सिर्फ बच्चों के दिमाग पर बुरा असर पड़ रहा है, बल्कि वह मानसिक तौर पर भी बीमार होने की कगार पर पहुंच जाते हैं. ऐसे में मां-बाप को जल्द ही अपने बच्चों पर ध्यान देते हुए मोबाइल गेम्स से छुटकारा दिलाना होगा. इतना ही नहीं अभिभावकों को अपने बच्चों के साथ प्यार-मोहब्बत और एक दोस्त की तरह उन्हें इसके लिए समझाना भी होगा.

मोबाइल गेम्स से बच्चों का भविष्य अंधकार में: साइबर पुलिस

उत्तराखंड साइबर पुलिस सर्किल ऑफीसर अंकुश मिश्रा इस बारे में बताते हैं कि हाल-फिलहाल के दिनों में एक के बाद एक ऐसी शिकायतें आ रही हैं, जिसमें मोबाइल गेम्स कम्पनियों द्वारा लाखों रुपए का चूना अभिभावकों को लगाया जा रहा है. उन्होंने कहा यह एक ड्रग की तरह बच्चों को अपनी गिरफ्त में ले रहे हैं. ऐसे में साइबर क्राइम के नए पैटर्न में उभरने वाले इस अपराध के बारे में जागरूक होकर ही इससे बचा जा सकता है.

हालांकि अब उत्तराखंड साइबर पुलिस अलग-अलग माध्यमों के जरिए इस तरह की ठगी गेम्स के बारे में प्रचार प्रसार कर लोगों जागरूक कर रही है. सर्किल ऑफिसर अंकुश मिश्रा ने इस मामले पर चिंता जाहिर करते हुए बताया कि इन दिनों घंटों मोबाइल पर समय बिताने वाले बच्चों के ऊपर विशेष रूप से अभिभावकों को ध्यान देने की जरूरत है. अगर वे ऐसा नहीं करते तो बच्चों का भविष्य भी अंधकारमय हो सकता है.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *