एक तरफ तो नए मुख्य सचिव की ताजपोशी में 3 दिन शेष रह गए हैं दूसरी तरफ अभी तक कार्मिक विभाग ने नए मुख्य सचिव की ताजपोशी के लिए अभी तक फ़ाइल ही नहीं चलाई। इसी बीच 25 जुलाई को मुख्य सचिव का गुपचुप दिल्ली दौरा और 29 जुलाई को दुबारा दिल्ली जाने की चर्चा ने इस खामोशी में हलचल पैदा कर दी है। सारी ब्यूरोक्रेसी ने अपना सूचना तंत्र सक्रिय कर दिया है लेकिन बावजूद इसके कोई ठोस खबर हाथ नहीं लग रही है। इसी बीच 30 जुलाई को आनन फानन में कैबिनेट की मीटिंग बुला ली गई है। माना ये जा रहा है कि कार्मिक विभाग ने मौजूदा मुख्य सचिव के एक्सटेंशन के लिए केंद्र सरकार को पत्र लिखा है लेकिन आज रिटायरमेन्ट के 3 दिन शेष रह जाने पर भी केंद्रीय कार्मिक मंत्रालय से कोई सकारात्मक संकेत नहीं मिला है।
मुख्य सचिव पद के प्रबल दावेदार ओम प्रकाश के अलावा मुख्यमंत्री सचिवालय में एक अन्य ताकतवर ब्यूरोक्रेट दिल्ली में मुख्य सचिव के लिए फील्डिंग करने में पूरी तरह से व्यस्त हैं। माना जा रहा है कि मुख्य सचिव का सेवा विस्तार पूरी तरह से प्रधानमंत्री की अनुमति के बिना नहीं होगा। पीएम ऑफिस में उत्तराखंड से संबंध रखने वाले एक ताक़तवर अधिकारी मुख्य सचिव की पैरवी कर रहे है। यदि 29 जुलाई की रात तक मुख्य सचिव के सेवा विस्तार का आदेश नहीं जारी हुआ तो राज्य सरकार अपने अधिकारों का प्रयोग करके उत्पल कुमार सिंह को 03 महीने का सेवा विस्तार दे सकती है। शायद इसीलिए 30 जुलाई को सुबह आनन फानन में कैबिनेट की मीटिंग बुलाई गई है। लेकिन ये इतना भी आसान नहीं होगा। राकेश शर्मा के मामले में सरकार द्वारा दिया गया 03महीने का सेवा विस्तार केंद्रीय कार्मिक मंत्रालय ने निरस्त कर दिया था। यदि इस बार ऐसी नोबत बनी तो त्रिवेंद्र सिंह रावत की ही कुर्सी डोल सकती है। उनके पीएम ऑफिस में प्रभाव का भौकाल टूट सकता है। यदि ऐसा हुआ तो उनके विरोधियों को एकजुट होने का और उनके खिलाफ लॉबिंग करने का सशक्त मौका मिलेगा। बहरहाल, सस्पेंस केवल 02 दिन के लिए बचा। जितना रोमांच लेना हो 30 की रात तक ले लीजिए। 31 को तो तय हो ही जायेगा कि उत्पल कुमार सिंह का विदाई समारोह अभी होगा या नहीं।
(कुँवर राज अस्थाना, संपादक, दिव्य हिमगिरि की कलम से)