पोस्ट में चस्पा स्क्रीन शॉट में जिस मामले का जिक्र पर्वतजन पोर्टल के द्वारा अपनी खबर में जोर शोर से किया गया है, ऐसा कोई मामला आज के दिन माननीय उत्तराखण्ड उच्च न्यायालय के समक्ष सुनवाई को लंबित नही है, अर्थात ऐसे किसी मामले की सुनवाई हेतु 31 जुलाई की कोई तिथि उच्च न्यायालय में निर्धारित नही है । पर्वतजन पोर्टल के द्वारा लिखी खबर में उल्लेखित मामले के इतर आज की हकीकत ये है कि उमेश कुमार की याचिका को उत्तराखण्ड उच्च न्यायालय की जस्टिस रवि मलिमथ एंव जस्टिस एन.एस. धनिक की बेंच ने दिनांक 14 जुलाई को ही डिसमिस कर निस्तारित कर दिया था ।
पोस्ट लिखने को मजबूर इसलिए हुआ कि मेरे पोस्ट लिखे जाने तक पोस्ट में चस्पा पर्वतजन द्वारा अपने पोर्टल पर लिखी झूठी और फर्जी खबर के असल तथ्य से अनजान 128 लोगो के द्वारा खबर की सच्चाई जाने बगैर ही उसे अपने अपने सोसियल मीडिया में शेयर भी कर चुके थे । पोस्ट के पाठकों से आग्रह है कि किसी भी पोर्टल की खबर को कभी भी अपने सोशियल मीडिया हैंडल पर शेयर करने से पहले खबर में लिखे तथ्यों की सच्चाई को भी जान लें, झूठी और फर्जी खबर शेयर करने पर खबर लिखने वाले के साथ साथ उसे शेयर कर प्रसारित करने वाले व्यक्ति को भी कानूनी कार्यवाही का सामना करना पड़ सकता है जो अनचाही मुसीबत को बुलाने के समान ही होगा ।
(चंद्र शेखर करगेती के फेसबुक बॉल से साभार )