उत्तरकाशी ( नेटवर्क 10 संवाददाता ) : एक तरफ तो उत्तराखंड सरकार प्रदेश में स्कूली शिक्षा को बेहतर करने के दावे करती है तो दूसरी ओर बच्चों की जिंदगी के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है. ये हम नहीं कर रहे हैं, बल्कि राजकीय इंटर कॉलेज साल्ड की 40 साल पुरानी जर्जर बिल्डिंग की जो तस्वीरे सामने आई हैं. वे अपना दर्द को खुद ही बयां कर रही हैं, जहां पढ़ने और पढ़ाने का मतलब जान जोखिम में डालना है.
राजकीय इंटर कॉलेज साल्ड की ये बदहाल तस्वीर उस दौरा में आई है जब हम ऑनलाइन क्लासेस की बात कर रहे हैं और जहां हम स्कूलों को नई-नई तकनीक से जोड़ने की घोषणाएं कर रहे हैं, लेकिन राजकीय इंटर कॉलेज साल्ड की तस्वीरें सरकार के उन दावों को आईना दिखाने के काम कर रही है.
आपको जानकर ताज्जुब होगा कि साल 2010 में राजकीय इंटर कॉलेज साल्ड के नए भवन का निर्माण हुआ था. जिस पर करीब 80 लाख की धनराशि खर्च हुई थी, लेकिन छह साल में ही ये नव निर्मित बिल्डिंग खंडहर में तब्दील हो गई. ऐसे में पांच से छह गांवों के करीब 200 बच्चें मौत के साए में पढ़ने के मजबूर है. बरसात के दिनों में छत से पानी टपकता है. ग्रामीणों और स्थानीय जनप्रतिनिधियों ने कई बार स्कूल की मरम्मत के लिए शासन और प्रशासन से गुहार लगाई गई, लेकिन किसी ने भी इसकी सुध नहीं है. थक हार कर इस स्कूल को बचाने के लिए क्षेत्र पंचायत सदस्य तनुजा नेगी आगे आई और उन्होंने स्कूलों की छतों को बचाने के लिए बरसाती (त्रिपाल) से ढकी. ताकि इस बिल्डिंग और थोड़े समय के लिए बचाया जा सके.
क्षेत्र पंचायत साल्ड तनुजा नेगी ने कहा कि जब शासन-प्रशासन नए भवन का निर्माण नहीं कर रहा है तो उनकी जिम्मेदारी बनती है कि वे पुराने भवनों को तो बचा सके. ताकि कोई बड़ा हादसा न हो. हालांकि, अभी कोरोन की वजह से स्कूल बंद है. लेकिन यदि इस दौरान स्कूल खुलते तो ये जीर्ण शीर्ण भवन कभी भी गिर सकता था. जिससे कोई बड़ा हादसा भी हो सकता है.
ग्राम प्रधान साल्ड संजू नेगी ने कहा कि कुछ दिनों पहले वे शिक्षा मंत्री का ऑनलाइन संबोधन सुनने आए थे. इस दौरान उन्होंने देखा कि आईटी रूम की काफी बुरी स्थिति थी. ऐसी स्थिति में अगर बच्चों के साथ कोई अनहोनी हो जाती है, तो इसका जिम्मेदार कौन होगा?