सोमेश्वर: कारगिल युद्ध के शहीद मोहन सिंह बिष्ट के गांव खड़ाऊं को मोटर मार्ग से जोड़ने की सरकारी घोषणा 20 वर्ष बाद भी अधूरी है. पूर्व में ग्रामीणों ने शासन-प्रशासन से कई बार शहीद के नाम पर की गई घोषणा को पूरा करने की मांग की है, लेकिन फिर भी कोई सकारात्मक कार्यवाई नही हो रही है. शहीद के नाम पर बन रही सड़क की बदहाली को ग्रामीणों ने शहीदों का अपमान बताया है.
वहीं, ममरछीना से सड़क का 4 किलोमीटर कटान करने और इसमें 1 किलोमीटर डामरीकरण करने के बाद विभाग ने सड़क को पूरा करने की दिशा में कोई सकारात्मक कार्रवाई नहीं की है. हालात यह है कि इस सड़क में 1 किलोमीटर हिस्से में जो डामरीकरण किया गया था, वह भी गड्ढों में तब्दील हो चुका है, तथा खड़ाऊं गांव को बसौली से जोड़ने का कार्य अभी भी अधर में लटका हुआ है. चुराड़ी गांव तक 4 किलोमीटर सड़क का कटान हो चुका है. जबकि, डेढ़ किलोमीटर सड़क का कटान होना अभी बाकी है. इसके अलावा डामरीकरण, सुरक्षा दीवारें, जल निकासी की नालियां और कलमठों का निर्माण ज्यों का त्यों पड़ा हुआ है.
शहीद के गांव के लिए की गई घोषणा को पूरा करने के लिए गांव के ग्राम प्रधान वीरेंद्र सिंह बिष्ट तथा अन्य ग्रामीणों द्वारा शासन प्रशासन को अनेक बार पत्र भी भेजे जा चुके हैं. ग्राम प्रधान संगठन के अध्यक्ष और खड़ाऊं के ग्राम प्रधान वीरेंद्र बिष्ट का कहना है कि वह इस सड़क को पूरा करने की मांग को लेकर बीडीसी की बैठक में भी कई बार मामला उठा चुके हैं, लेकिन आश्वासन के अलावा कुछ भी हासिल नहीं हुआ है, तथा विभागीय अधिकारी बजट का रोना रोकर मामले से पल्ला झाड़ रहे हैं.
बताते चलें कि शहीद मोहन सिंह बिष्ट का परिवार वर्तमान में दिल्ली में रहता है, जहां उनकी 3 पुत्रियां और एक पुत्र अपनी माता के साथ रहते हैं. जब भी वह गांव पहुंचते हैं तो उन्हें अपने पिता के नाम पर की गई घोषणा के पूर्ण नहीं होने पर ठेस पहुंचती है. ग्रामीणों ने शहीद मोहन सिंह की स्मृति में गांव में शहीद दिवस कार्यक्रम आयोजित करने के लिए भी शासन प्रशासन को पत्र लिखे, लेकिन इस पर भी आज तक कार्रवाई नहीं हो सकी है.