राजस्थान के सियासी संकट में अशोक गहलोत ने छोड़ी फ्लोर टेस्ट की मांग

जयपुर. राजस्थान में चल रहे सियासी संकट में रोज नए-नए मोड़ आते दिख रहे हैं. ताजा प्रकरण यह है कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत (CM Ashok Gehlot) ने एक बार फिर राज्यपाल कलराज मिश्र (Governor Kalraj  Mishra) को विधानसभा सत्र बुलाने को लेकर प्रस्ताव भेजा है. सीएम गहलोत ने अपने प्रस्ताव में राज्यपाल से मांग की है कि 31 जुलाई से विधानसभा का सत्र (Assembly Session) बुलाया जाए. प्रदेश सरकार ने कल देर रात यह प्रस्ताव गवर्नर को भेजा है. इसके साथ ही सरकार ने राज्यपाल को 6 बिंदुओं का जवाब भी भेज दिया है. सरकार ने कल ही कैबिनेट से विधानसभा का सत्र बुलाने का प्रस्ताव पारित कराया था. हालांकि बताया गया है कि राज्यपाल कलराज मिश्र ने सत्र बुलाने को लेकर अभी कोई फैसला नहीं किया है.

सीएम गहलोत द्वारा राज्यपाल को भेजे गए प्रस्ताव में 31 जुलाई से विधानसभा का सत्र बुलाने की तो मांग की गई है, लेकिन इसमें फ्लोर टेस्ट कराने को लेकर कोई बात नहीं कही गई है. विधानसभा सत्र बुलाने के पीछे की वजह दरअसल, कोरोना वायरस संक्रमण को बताया गया है. लेकिन इसमें फ्लोर टेस्ट को लेकर गहलोत ने कोई जवाब नहीं दिया है.

इधर, विधानसभा सत्र बुलाने को लेकर जानकारों की राय भी सामने आई है. संविधान के अनुच्छेद 163 और 174 में विधानसभा सत्र बुलाने का उल्लेख है. अनुच्छेद 163ए के मुताबिक राज्यपाल को काउंसिल ऑफ मिनिस्टर्स की सलाह पर काम करने की बात कही गई है. वहीं अनुच्छेद 163बी इस बाबत राज्यपाल को और अधिकार देता है. इस आर्टिकल के तहत राज्य मंत्रिपरिषद अपनी बात मनवाने के लिए गवर्नर पर दबाव नहीं बना सकता है.

इस बीच राजस्थान में राजभवन और सरकार के बीच बढ़ते टकराव को लेकर कांग्रेस पार्टी ने अभियान छेड़ दिया है. राज्यपाल द्वारा विधानसभा सत्र नहीं बुलाने से नाराज पार्टी ने मोर्चा खोल दिया है. पार्टी आज #SpeakUpForDemocracy अभियान चला रही है. पार्टी नेताओं का कहना है कि उनका यह अभियान देशव्यापी है. कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल ने कहा है कि देशभर में राजभवन के सामने पार्टी कार्यकर्ता प्रदर्शन करेंगे.

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