आपदा का खौफ: धापा गांव के 47 परिवारों ने छोड़े मकान, प्लास्टिक टेंट का ‘सहारा’

पिथौरागढ़ ( नेटवर्क 10 संवाददाता ) : मुनस्यारी के धापा गांव में भी कुदरत ने जमकर कहर बरपाया है. भूस्खलन के चलते ये गांव पूरी तरह खतरे की जद में आ गया है. आलम ये है कि गांव के 47 परिवारों ने अपने मकान छोड़ दिए हैं और जंगल में टेंट लगाकर रहने को मजबूर हैं. वहीं, कुछ परिवारों ने गुफा में शरण ली है. आपदा प्रभावितों ने सरकार से विस्थापन की गुहार लगाई है.

pithoragarh disaster

टेंट में रहने को मजबूर ग्रामीण.

मुनस्यारी के धापा गांव में आसमानी आफत के डर से 47 परिवारों ने अपना मकान छोड़ दिया है. ये परिवार जंगलों और गुफाओं में प्लास्टिक के टेंट लगाकर रहने को मजबूर हैं. धापा गांव में लगातार भूस्खलन हो रहा है. जिस कारण गांव के सभी 120 परिवारों की रातों की नींद उड़ गई है.

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आपदा के डर से ग्रामीण ने अस्थाई टेंट का सहारा लिया.

धापा गांव में हालात का जायजा लेने पहुंचे स्थानीय विधायक हरीश धामी ने धापा गांव के सभी परिवारों को विस्थापित करने की मांग की है. हरीश धामी का कहना है कि सरकार इन परिवारों को तराई में विस्थापन नहीं कर सकती तो इन्हें मकान बनाने और जमीन खरीदने के लिए पर्याप्त मुआवजा राशि दें.

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आपदा से मकान जमींदोज.

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धापा गांव में आपदा.

बता दें कि, बीते 19 जुलाई की रात बादल फटने से बंगापानी तहसील के टांगा और गैला गांव के साथ ही धापा गांव में भी भारी तबाही मची थी, जिसमें गैला गांव में भूस्खलन की चपेट में आने से एक परिवार के 3 लोग जिंदा दफन हो गए. जबकि, टांगा में बादल फटने से 11 लोगों की मौत हो चुकी है.

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धापा गांव में आपदा से क्षतिग्रस्त भवन.

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धापा गांव से सुरक्षित स्थान की ओर जाते ग्रामीण.

गनीमत ये रही कि धापा गांव में कोई जनहानि नहीं हुई, लेकिन यहां 3 मकान जमींदोज हो गए थे. जबकि, कई मकान खतरे की जद में आ गए हैं.

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