केरल और कर्नाटक में आतंकी हमले की साजिश रच रहे हैं ISIS और अल कायदा

आतंकवाद को लेकर संयुक्त राष्ट्र संघ (United Nations) ने चेतावनी देते हुए कहा है कि केरल और कर्नाटक में बड़ी संख्या में इस्लामिक स्टेट (ISIS) के आतंकी मौजूद हो सकते हैं. इसी के साथ भारत का ध्यान इस ओर भी दिलाया है कि अलकायदा आतंकवादी संगठन (Al Qaeda) भारतीय उपमहाद्वीप में हमले की साजिश कर रहा है. बताया जा रहा है कि इस संगठन में पाकिस्तान, बांग्लादेश, म्यांमार और भारत के 150 से 200 आतंकवादी हैं.

ISIS, अल-कायदा और इससे जुड़े विश्लेषणात्मक सहायता और प्रतिबंधों (Analytical Support and Sanctions Monitoring Team) की निगरानी टीम की 26 वीं रिपोर्ट में कहा गया है कि भारतीय उपमहाद्वीप में अल-कायदा, (AQIS) तालिबान के तहत अफगानिस्तान के निमरूज, हेलमंद और कंधार प्रांतों से काम करता है.

अल-कायदा कर रहा बदले की तैयारी

इसमें बताया गया है, ”AQIS का मौजूदा सरगना ओसामा महमूद (Osama Mahmud) है जिसने मारे गए आसिम उमर की जगह ली है. खबरों के मुताबिक AQIS अपने पूर्व आका की मौत का बदला लेने के लिए इलाके में जवाबी कार्रवाई की साजिश रच रहा है.”

रिपोर्ट्स के मुताबिक एक सदस्य राष्ट्र ने यह जानकारी दी है कि इस्लामिक स्टेट के भारतीय ब्रांच (हिंद विलायाह) में 180 से 200 के बीच आतंकी हैं. इसमें कहा गया है कि केरल और कर्नाटक राज्यों में हिंद विलायाह (ISIL) के आतंकियों की बड़ी संख्या मौजूद है.”

पिछले साल भारत में ब्रांच खोलने का किया था दावा

बता दें कि पिछले साल 10 मई को आतंकवादी संगठन ISIS ने भारत में अपना ब्रांच खोलने का दावा किया था. यह कश्मीर में आतंकवादियों और सुरक्षा बलों के बीच मुठभेड़ के बाद ISIS की ओर से अपनी तरह की यह पहली घोषणा थी. खूंखार आतंकी समूह ISIS की समाचार एजेंसी ‘अमाक (Amaq)’ के अनुसार भारत में इसका नाम ‘विलायाह ऑफ हिंद (भारतीय प्रांत)’ रखा गया है. हालांकि, जम्मू-कश्मीर के एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने इस दावे को खारिज कर दिया है.

खुरासान प्रांतीय ब्रांच से भी जुड़ चुका है नाम

मालूम हो कि इससे पहले कश्मीर में ISIS के हमलों को इसके तथाकथित खुरासान प्रांतीय ब्रांच (Khorasan Province) से जोड़ा जाता रहा है, जिसका गठन 2015 में पाकिस्तानी नागरिक और तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान के एक पूर्व कमांडर ने किया था. इसका लक्ष्य ”अफगानिस्तान, पाकिस्तान और पास के क्षेत्र’ थे. संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने इस संगठन पर प्रतिबंध लगा दिया था.

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