चीन से उठा अमेरिकी कंपनियों का भरोसा, भारत बड़ा कॉम्पिटिटर

( नेटवर्क 10 संवाददाता ) : अमेरिका की बड़ी टेक कंपनियां फेसबुक (Facebook) और गूगल (Google) ने भारत में एक बड़ा इंवेस्टमेंट (US Firms Investment in India) किया है. राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) के टॉप इकोनॉमिक एडवाइजर लैरी कुडलो (Larry Kudlow) का कहना है कि यह इंवेस्टमेंट दर्शाता है कि लोगों का भरोसा चीन (Losing Trust in China) से उठ रहा है और अब भारत एक बड़े कॉम्पिटिटर (India Big Competitor) के रूप में उभर रहा है.

भारत एक अटरेक्टिव इंवेस्टमेंट प्लेस

व्हाइट हाउस के इकोनॉमिक एडवाइजर लैरी कुडलो ने पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि कॉरपोरेट टैक्सेज की कमी के साथ, भारत एक बहुत ही अटरेक्टिव इंवेस्टमेंट प्लेस हो सकता है. ऑनलाइन मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, लैरी ने कहा, “मुझे लगता है कि यह (भारत में अमेरिकी कंपनियों का इंवेस्टमेंट) दिलचस्प है. मैं भारतीय नेताओं के साथ कुछ द्विपक्षीय बैठकों में गया हूं. लोग चीन पर से भरोसा खो रहे हैं और भारत एक बड़ा कॉम्पिटिटर बन गया है.”

अमेरिका का बड़ा सहयोगी है भारत

लैरी ने आगे कहा, “अगर मैं गलत नहीं हूं, तो भारत ने अपने कॉर्पोरेट टैक्स रेट को घटा दिया है. मुझे पता है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए मेरी सिफारिश थी, जब मैं उनसे 18 महीने पहले मिला था. इसलिए, यह (भारत) एक बहुत ही अटरेक्टिव इंवेस्टमेंट प्लेस हो सकता है और वह अमेरिका का एक बड़ा सहयोगी भी है.” गूगल, फेसबुक, अमेजन और वॉलमार्ट जैसी प्रमुख अमेरिकी कंपनियों द्वारा अलग-अलग भारतीय कंपनियों में किए जा रहे अरबों डॉलर के इंवेस्टमेंट को लेकर किए गए एक सवाल पर लैरी ने यह जवाब दिया था.

अमेरिकी टेक कंपनियों का भारत में इंवेस्टमेंट

गूगल के चीफ एग्जीक्यूटिव सुंदर पिचाई ने सोमवार को देश में डिजिटल तकनीकों को अपनाने में तेजी लाने में मदद करने के लिए अगले पांच से सात सालों में भारत में 75,000 करोड़ रुपये का इंवेस्टमेंट करने के प्लान की घोषणा की. इससे पहले इस साल की शुरुआत में अन्य अमेरिकी टेक कंपनियां जैसे फेसबुक और अमेजन भी भारत में इंवेस्ट कर चुके हैं.

अमेरिका और चीन के बीच कई मुद्दों को लेकर तनातनी है, जिनमें कोरोनवायरस और चीन द्वारा हांगकांग के लिए एक विवादास्पद सुरक्षा कानून को लागू करना शामिल है. ट्रंप प्रशासन ने चीन को पहले से कोरोनोवायरस महामारी की दुनिया को चेतावनी नहीं देने और इसके प्रकोप की सीमा को छिपाने के लिए दोषी ठहराया. हालांकि चीन खुद पर लगे इन आरोपों को खारिज कर चुका है. इसके अलावा हांगकांग के मुद्दों लेकर भी ट्रंप प्रशासन चीन की कम्युनिस्ट पार्टी पर हमलावर है.

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