रिसीवर और डोनर तलाशकर अवैध तरीके से किडनी ट्रांसप्लांट कराने वाले रैकेट का भंडाफोड़

नई दिल्ली: दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने एक अंतरराज्यीय किडनी ट्रांसप्लांट रैकेट (kidney transplant racket) का भंडाफोड़ किया है. इस मामले में मास्टरमाइंड सहित 15 आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है. पुलिस के मुताबिक पांच राज्यों की 11 अस्पतालों में 34 से ज्यादा किडनी अवैध तरीके से ट्रांसप्लांट की गईं। गिरोह के लोग फर्जी दस्तावेजों के आधार पर किडनी ट्रांसप्लांट करवाते थे।

इससे पहले 9 जुलाई को क्राइम ब्रांच ने एक अन्य किडनी रैकेट का भंडाफोड़ किया था, जिसमें तीन बांग्लादेशी नागरिकों समेत कुल सात लोगों को गिरफ्तार किया गया था। इस तरह से पिछले 15 दिन के अंदर अवैध किडनी ट्रांसप्लांट मामले में अब तक कुल 22 लोग गिरफ्तार किए गए हैं।

क्राइम ब्रांच के डीसीपी अमित गोयल के मुताबिक यह गिरोह दिल्ली-एनसीआर, पंजाब, हरियाणा, मध्य प्रदेश और गुजरात में सक्रिय था।एक महिला शिकायतकर्ता ने 26 जून को संदीप और विजय कुमार कश्यप उर्फ ​​​​सुमित के खिलाफ शिकायत दी थी कि उन्होंने किडनी ट्रांसप्लांट के बहाने उसके पति से 35 लाख की धोखाधड़ी की है। इसके बाद उसी दिन लखनऊ निवासी आरोपी सुमित उर्फ ​​विजय कश्यप को नोएडा से गिरफ्तार किया गया और उसके कब्जे से बहुत सारे फर्जी कागजात, स्टाम्प सील और मरीजों के डेटा की फाइलें बरामद की गईं. इसके बाद 28 जून को उत्तराखंड के रहने वाले संदीप आर्य और देवेंद्र को गोवा के एक पांच सितारा होटल से गिरफ्तार किया गया।

पहले अस्पतालों में नौकरी, फिर गोरखधंधा

पूछताछ में पता चला कि संगठित तरीके से आरोपी पहले बड़े अस्पतालों में किडनी ट्रांसप्लांट कोआर्डिनेटर के रूप में नौकरी करते थे और फिर किडनी ट्रांसप्लांट के लिए उस अस्पताल द्वारा अपनाई जाने वाली प्रक्रिया को सीखते थे। इसके बाद वे दिल्ली, फरीदाबाद, मोहाली, पंचकुला, आगरा, इंदौर और गुजरात के कई अस्पतालों में किडनी रोग से पीड़ित और इलाज करा रहे मरीजों की पहचान करते थे।आरोपी सोशल मीडिया पर किडनी देने वालों से संपर्क करते थे और उनकी गरीबी का फायदा उठाकर पांच से छह लाख रुपये में  उन्हें किडनी देने के लिए तैयार कर लेते थे।

आरोपी डोनर और रिसीवर को करीबी रिश्तेदार दिखाने के लिए उनके जाली दस्तावेज तैयार करते थे क्योंकि किडनी ट्रांसप्लांट के लिए यह जरूरी है. कुछ मामलों में उन्होंने फर्जी दस्तावेज बनाकर दूसरे राज्य के अस्पताल में ट्रांसप्लांट कराने के लिए डोनर और रिसीवर को उसी राज्य का दिखा दिया। जाली दस्तावेजों के आधार पर उनकी मेडिकल जांच की गई और कई अस्पतालों में ट्रांसप्लांट अथॉरिटी कमेटी की जांच में वे पास हो गए. अब तक यह बात सामने आई है कि सिंडिकेट ने अलग-अलग राज्यों के 11 अस्पतालों में किडनी ट्रांसप्लांट करवाए हैं।

अलग-अलग स्थानों से पांच आरोपी गिरफ्तार

मामले की जांच के दौरान इस गिरोह से जुड़े पांच और लोगों पुनीत कुमार, मोहम्मद हनीफ शेख, चीका प्रशांत, तेज प्रकाश और रोहित खन्ना उर्फ ​​नरेंद्र को अलग-अलग जगहों से गिरफ्तार किया गया।इसके अलावा किडनी ट्रांसप्लांट कराने वाले पांच मरीजों और दो डोनर की पहचान की गई है। उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई शुरू की गई है।अब तक अवैध किडनी ट्रांसप्लांट के 34 मामले पहचाने जा चुके हैं।

गिरोह का सरगना पब्लिक हैल्थ में एमबीए

उत्तर प्रदेश के नोएडा का संदीप आर्य इस किडनी रैकेट का सरगना है. वह पब्लिक हेल्थ में एमबीए है। उसने फरीदाबाद, दिल्ली, गुरुग्राम, इंदौर और वडोदरा के कई अस्पतालों में ट्रांसप्लांट कोऑर्डिनेटर के रूप में काम किया है। वह मरीजों से संपर्क करता था और अस्पतालों में किडनी ट्रांसप्लांट की व्यवस्था करता था। वह प्रत्येक किडनी ट्रांसप्लांट के लिए लगभग 35-40 लाख रुपये लेता था। इसमें मरीजों द्वारा दिया गया अस्पताल का खर्च, डोनर की व्यवस्था, रहने और सर्जरी के लिए आवश्यक अन्य कानूनी दस्तावेज शामिल थे. प्रत्येक किडनी ट्रांसप्लांट पर उसे सात से आठ लाख रुपये की बचत होती थी। वह पहले दिल्ली के शालीमार इलाके में क्रेडिट कार्ड धोखाधड़ी में गिरफ्तार हो चुका है।

खाते में पैसे जमा कराता था देवेंद्र झा

उत्तराखंड निवासी आरोपी देवेंद्र झा ने 10वीं कक्षा तक पढ़ाई की है. वह संदीप आर्य का बहनोई है। उसने अपना बैंक अकाउंट मुहैया कराया था, जिसमें शिकायतकर्ता के पति के ​​सात लाख रुपये जमा कराए गए थे। वह संदीप आर्य की सहायता करता था और उसके आदेश पर पैसे जमा कराता था। वह हर केस के लिए 50 हजार रुपये लेता था।

डोनर और रिसीवर को तैयार करता था विजय कश्यप

विजय कुमार कश्यप उर्फ ​​सुमित यूपी के लखनऊ का निवासी है और ग्रेजुएट है। शुरुआत में वह पैसे के बदले अपनी किडनी देने के लिए आरोपी संदीप आर्य के संपर्क में आया था। इसके बाद वह संदीप आर्य के साथ काम करने लगा और हर ट्रांसप्लांट पर उसे 50 हजार रुपये मिलते थे. उसकी भूमिका डोनर और रिसीवर के बैकग्राउंड के आधार पर उन्हें तैयार करने और संदीप के कहने पर सर्जरी से पहले डोनर को पैसे देने की थी।

ब्लड रिलेशन दिखाने के लिए फर्जी दस्तावेज

यूपी के आगरा के निवासी आरोपी पुनीत कुमार ने 2018 में हॉस्पिटल मैनेजमेंट की डिग्री हासिल की थी। इसके बाद उसने कई राज्यों के सात नामी अस्पतालों में नौकरी की। वह संदीप के कहने पर रिसीवर और डोनर के बीच ब्लड रिलेशन साबित करने के लिए फर्जी दस्तावेज तैयार करता था। फिलहाल वह यूपी के आगरा के एक अस्पताल में ट्रांसप्लांट कोऑर्डिनेटर के पद पर काम कर रहा था। संदीप उसे प्रत्येक फाइल के लिए 50 हजार से एक लाख रुपये देता था।

पैसे के लिए किडनी दी, फिर गिरोह में शामिल हो गया मोहनीफ

मुंबई का निवासी मोहनीफ शेख पेशे से दर्जी है. वह अपने पेशे में घाटे के बाद फेसबुक के जरिए संदीप आर्य के संपर्क में आया था।उसने पैसे के लिए अपनी किडनी दे दी, और फिर संदीप आर्य के यहां काम करने लगा।उसकी भूमिका आरोपी संदीप आर्य को मरीज या डोनर मुहैया कराने की थी. इसके बदले में उसे प्रति केस 50 हजार से एक लाख रुपये मिलते थे।

फर्जी दस्तावेजों से ट्रांसप्लांट कोऑर्डिनेटर बना चीका प्रशांत

आरोपी चीका प्रशांत हैदराबाद का निवासी है। चीका ने संदीप आर्य के जरिए अपनी किडनी दान की और उसके बाद वह संदीप से जुड़ गया। संदीप ने उसे ट्रांसप्लांट कोऑर्डिनेटर के रूप में नौकरी दिलवाने के लिए  इंदौर में उसकी ट्रेनिंग करवाई और आखिर में चीका दिल्ली के एक नामी अस्पताल में फर्जी कागजात पर नौकरी पाने में सफल रहा। उसकी मदद से तीन किडनी ट्रांसप्लांट हुए। इसके अलावा उसने एक महिला का पिता बनकर उसके पति की किडनी ट्रांसप्लांट करवाने की कोशिश की लेकिन इसी बीच पति की मौत हो गई. वह हर केस एक लाख रुपये लेता था।

रिसीवर दिलाने के लिए प्रति केस 5 लाख रुपये

दिल्ली के निवासी आरोपी तेज प्रकाश ने संदीप के जरिए मोहाली के एक अस्पताल से अपनी पत्नी के लिए किडनी ट्रांसप्लांट कराई और बाद में आरोपी संदीप आर्य को रिसीवर भी मुहैया कराए. वह हर केस के पांच लाख रुपये लेता था।

सोशल मीडिया पर डोनर की तलाश

आरोपी रोहित खन्ना उर्फ ​​नरेंद्र दिल्ली का निवासी है. वह सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के जरिए कई ग्रुपों से किडनी देने वालों के नंबर हासिल करता था। इन ग्रुपों का वह सदस्य भी है। जैसे ही कोई डोनर किडनी देने की इच्छा दिखाता, वह अपना मोबाइल नंबर देकर उससे संपर्क कर लेता था. उसने किडनी ट्रांसप्लांट के कई रिसीवरों के पास आरोपी संदीप आर्य को भेजा था। उसके पास 26 ईमेल आईडी, सोशल मीडिया पेजों के नंबर हैं और वह 112 किडनी ट्रीटमेंट ग्रुपों का सदस्य भी है। वह सिंडिकेट को डोनर देने वाला मुख्य सप्लायर है।

पुलिस ने कई दस्तावेज और उपकरण बरामद किए

पुलिस ने इस मामले में कई दस्तावेज बरामद किए हैं। विभिन्न राज्यों के कई अधिकारियों के 34 स्टाम्प बरामद किए गए हैं. किडनी रिसीवरों और किडनी देने वालों की छह फर्जी फाइलें, फर्जी दस्तावेज तैयार करने के लिए कई लैब और अस्पतालों के खाली दस्तावेज, स्टाम्प तैयार करने का सामान, दो लैपटॉप मिले हैं जिनमें किडनी ट्रांसप्लांट का आपत्तिजनक डेटा और रिकॉर्ड मिला है। 17 मोबाइल फोन, नौ सिम कार्ड और डेढ़ लाख कैश बरामद किया गया है। आरोपी संदीप आर्य की मर्सिडीज कार भी बरामद हुई है।

 

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