सोशल मीडिया पर नहीं, व्यवस्था पर अंकुश लगाओ

(वरिष्ठ पत्रकार गुणानंद जखमोला की कलम से)
– जब विधायक की नहीं सुनी जाती तो आम जनता की सुध कौन लेगा?
– मीडिया का मुंह बंद कर लोगे, जनता का मुंह कैसे बंद करोगे?

अपने त्रिवेंद्र चचा ने दो दिन पहले सोशल मीडिया पर कलंक को रोकने की बात कही। सोशल मीडिया की मानीटरिंग की बात कही तो सरकार का भौंपू बना मेन स्ट्रीम मीडिया ने अपने पत्रकारों से कह दिया कि खबरदार, यदि सोशल मीडिया पर सरकार के खिलाफ कुछ लिखा तो। जानकारी के अनुसार अमर उजाला ने तो बकायदा अपने पत्रकारों से लिखवा कर भी ले लिया कि सरकार के विरोध में सोशल मीडिया पर कुछ नहीं लिखेंगे। हद है जुल्म की। चचा, क्या अघोषित आपातकाल चल रहा है इस प्रदेश में? या मीडिया पर सेंसरशिप है? चचा, मेरा कहना है कि आप व्यवस्था सुधारो, अपने बेलगाम अधिकारियों को संभालो तो मीडिया और सोशल मीडिया स्वयं ही सुधर जाएगा। अब देखो, आपके विधायक राजेश शुक्ला को क्यों धरने पर बैठना पड़ा? किसी ने बेचारे विधायक की सुनी नहीं? बताओ एमएलए और वह भी सत्ताधारी दल का होने के बावजूद बेचारे को धूल भरे फर्श पर बैठना पड़ा। विधायक जी के चेहरे के साथ ही पैंट पर सलवटें पड़ गयी।
जब बेचारे विधायक अस्पताल में धरना दे रहे थे तो ये बेचारा यानी मैं स्वाति ध्यानी की मौत पर पौड़ी के सीएमओ डा. मनोज बहुखंडी से सिर खफा रहा था। मैंने सीएमओ साहब को फोन किया। उन्होंने उठाया, और मेरे पूछने पर कहा कि जांच चल रही है और फोन काट दिया। मैं भन्ना गया, इतना बिजी सीएमओ मैंने कोई नहीं देखा। मैंने एक बार, दो बार, तीन बार फोन किया, कोई रिस्पांस नहीं। आटोमैटिक मैसेज आया कि बाद में काॅल करता हूं। पर अपनु तो पहले से बेशर्म हैं, काल पर काल किया तो सीएमओ साब समझ गये कि कोई पागल होगा। मैं फोन पर भी झल्ला पड़ा। आखिरकार सीएमओ साब ने फोन उठा लिया। कहा, मैं बिजी हूं। मैंने कहा कि एक की जान चली, उसको बचाने में बिजी रहते तो मान लेता। खैर, सीएमओ साब ने स्वाति मामले की जांच के संबंध में तब जानकारी दी। और सुन लो चचा, एनएचएम की डायरेक्टर डा. अंजलि नौटियाल ने कल पूरे दिन फोन नहीं उठाया। मैं आज सीधे स्वास्थ्य निदेशालय जा रहा हूं। बाकी की खबर वहां से लौटने पर दूंगा।
तो चचा ये है आपकी स्वास्थ्य व्यवस्थाओं की हकीकत। अफसर मेरी न सुने, कोई बात नहीं, मैं उन्हें अलग से सुना दूंगा, लेकिन जनप्रतिनिधियों की तो सुन लो सरकार। आप अधिकारियों पर लगाम कसो चचा तो सोशल मीडिया पर अपने आप सुधार आ जाएगा।

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