थराली (नेटवर्क 10 संवाददाता ): उत्तराखंड में ‘पढ़ेंगे बच्चे बढ़ेंगे बच्चे’ के नारे भले ही लगते रहते हो पर जमीनी हकीकत कुछ और ही बयां कर रही है. इन दिनों उत्तराखंड के तमाम स्कूलों का जो विलयीकरण हुआ है, उसके बाद छात्रों के पठन-पाठन पर इसका असर देखने को मिलेगा. नारायणबगड़ विकासखंड पैठाणी, बनेला, गणकोट, बगड़ सहित कई तोकों और गांवों से आने वाले बच्चे अब शिक्षा के लिए लगभग 10 से 11 किलोमीटर पैदल चलने को मजबूर होंगे.
इस मामले में पैठाणी के ग्राम प्रधान मृत्युंजय परिहार का कहना है कि विलयीकरण के बाद क्षेत्र में एक बार फिर पलायन को बल मिलेगा. स्कूल की दूरी बढ़ जाने की वजह से लोग अपने बच्चों की अच्छी शिक्षा के लिए यहां से पलायन कर जाएंगे. इस संबंध में उन्होंने शासन-प्रशासन से अपील करते हुए कहा है कि सरकार को इस ओर ध्यान देना चाहिए, जिससे पहाड़ से पलायन न हो.
वहीं, नारायणबगड़ उपशिक्षा अधिकारी खुशहाल सिंह टोलिया का कहना है कि गांवों में पलायन की वजह से लोगों की संख्या घट रही है, जिस कारण स्कूलों में छात्रों की संख्या भी घट रही है. इसलिए शासन की ओर से विलयीकरण का फैसला लिया गया है.
बता दें कि राजकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय पैठाणी की जिसकी स्थापना साल 2006-07 में की गयी लेकिन अब शिक्षा के विलयीकरण की भेंट चढ़ने के बाद यहां पढ़ने वाले बच्चों का भविष्य अधर में लटका हुआ है. शिक्षा महकमे ने विद्यालय की कम छात्र संख्या के चलते इस विद्यालय को बन्द करने का आदेश साल 2018 में ही दे दिया था और इस विद्यालय का विलय राजकीय इंटर कॉलेज असेड़ सिमली में करने का आदेश जारी किया था.
शिक्षा विभाग ने विलयीकरण की इस प्रक्रिया में विद्यालय की कम छात्र संख्या और राजकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय पैठाणी से असेड़ की दूरी 4 किमी. बताई है, जबकि ग्रामीणों की मानें तो दोनों विद्यालयों के बीच की दूरी 4 किमी. नहीं बल्कि लोक निर्माण विभाग थराली द्वारा जारी दूरी प्रमाण-पत्र के अनुसार 6 किमी. है और इस दूरी प्रमाण-पत्र के अनुसार दोनों विद्यालयों का विलय नहीं हो सकता.