अल्मोड़ा: कोरोना वायरस महामारी पूरी दुनिया के सामने केवल स्वास्थ्य ही नहीं बल्कि आर्थिक चुनौतियां भी लेकर आई है। इसकी चपेट में आए रोगियों के इलाज में जुटे स्वास्थ्य कर्मी हों या लॉकडाउन के अनुपालन को दिन रात ड्यूटी पर मुस्तैद पुलिस व प्रशासनिक अधिकारी, जोखिम इनके लिए भी कम नहीं।
वहीं सबकुछ ठप हो जाने के कारण मजदूरों और श्रमिकों के लिए भी काफी परेशानी हो रही है। इन लोगों का दर्द अल्मोड़ा की एक मासूम ने समझा है। उसने अपना गुल्लक तोडऩे का फैसला कर लिया, जिसमें जमा किए थे 10 हजार रुपये। ताकि इस रकम से कोरोना योद्धा अपने लिए मास्क, सेनेटाइजर व ग्लब्ज का बंदोबस्त कर हमारी सेवा कर सकें। साथ ही गरीबों का पेट भरने में कुछ मदद मिल सके। संकट की इस घड़ी में मध्यमवर्गीय परिवार की यह नन्ही परी बड़ों बड़ों के लिए प्रेरणा बनकर उभरी है।
यहां बात हो रही अल्मोड़ा नगर के पांडे टोला निवासी दिनेश उप्रेती व अनीता की 12 वर्षीय बेटी वैष्णवी की। वह एक पब्लिक स्कूल में 7वीं में पढ़ती है। दरअसल, इन दिनों टीवी पर कोरोना से कराह रही पूरी दुनिया की खबरें देख वैष्णवी का दिल भी बेचैन हो गया। खासतौर पर भोजन व छत के अभाव में लॉकडाउन तोड़ इधर उधर भाग रहे लोगों से जुड़ी खबरों ने उसे झकझोर कर रख दिया।
डीएम नितिन सिंह भदौरिया ने बताया कि वैष्णवी वाकई प्रेरणास्रोत बन गई। बच्ची ने जो 10 हजार रुपये हमें दिए हैं, उसका सदुपयोग रोटी बैंक के लिए करेंगे। जहां जरूरतमंदों के लिए भोजन बन रहा। बच्ची की जितनी सराहना की जाए कम है। हमें उससे सीख लेनी चाहिए।
बच्ची ने प्रण किया कि बीते पांच वर्षों से पॉकेट मनी के लिए मिलने वाले बीस पचास रुपये जो वह जमा करती आ रही, उस पूंजी को कोरोना से जंग लडऩे के लिए देगी। उसने गुल्लक तोड़ा। पूरे 10 हजार वह जमा कर चुकी थी। ये रुपये लेकर वह अपने पिता दिनेश के साथ कलक्ट्रेट पहुंची और डीएम को सौंप दिए। वैष्णवी उप्रेती ने बताया कि टीवी में रोज देख रही थी। कोरोना से हजारों लोग मर रहे हैं। अपने भारत में कोरोना का संक्रमण बढ़ रहा। कई लोग बीमारी की चपेट में हैं। तब मुझे लगा कि इनकी सेवा के लिए अपना गुल्लक तोड़ मदद करूं।