देहरादून (नेटवर्क 10 संवाददाता ) : मुझे बचपन से ही पेंटिंग का शौक रहा है. मेरा पिता बहुत अच्छी पेंटिंग्स किया करते थे जिनसे मुझे भी प्रेरणा मिलती रही. मैंने बचपन से ही पढ़ाई के साथ-साथ पेंटिंग्स पर भी हाथ आजमाया. आर्ट से लगाव की वजह से मैंने कई आर्ट फॉर्म्स को एक्सप्लोर करने का काम किया है. स्कूली दिनों से ही मैंने कई तरह के आर्ट काम्टीशियन में भी हिस्सेदारी की. हाल-फिलहाल देहरादून में रहने वाली नेहा उनियाल मंडाला, ऑरनामेंटल पैटर्न, डूडलिंग, हाइपररीयलिस्टिंग, कॉमिकल इलस्ट्रेशन, टाइपोग्राफी और क्राफ्ट जैसे विभिन्न किस्म के आर्टवर्क में माहिर हैं. फाइनलाइनर्स, सॉफ्ट पेस्टलस, वाटर कलर, पेंसिल कलर्स के अलावा डिजिटल ड्राइंग के अलावा आधुनिक माध्यमों, फोटोशॉप, इलस्ट्रेटर, प्रीमियर प्रो में भी आसानी से हाथ आजमाती हैं.
अकादमिक के साथ आर्ट, ड्राइंग, डिजाइनिंग के लिए भी बेहतर करना चाहती हूं
मेरे परिवार में कई लोग शिक्षण कार्य से जुड़े हैं तो मुझसे बेहतरीन अकादमिक प्रदर्शन की उम्मीद हमेशा रही. मैंने साइंस से ही अपनी पढ़ाई भी की. जिंदगी में ऐसे मौके भी आते हैं जब आपको अपने भविष्य के बारे में प्लान करना होता है. मेरे सामने बारहवीं के बाद ऐसा ही मौका आया. यहां अगर में बीटेक जैसा कुछ चुन लेती तो मेरे पास अपनी आर्ट के लिए शायद ही कुछ बचता. लिहाजा मैंने एक ऐसा फील्ड चुनने के बारे में सोचा जहां अकादमिक तौर पर अच्छा करते हुए मैं आर्ट, ड्राइंग, डिजाइनिंग के लिए भी बेहतर कर सकूं. आर्किटेक्चर एंड डिजाइन से ग्रेजुएशन करते हुए मैं दोनों बेहतर तरीके से एक साथ कर सकती थी. तो मैंने यही रास्ता चुना.
मुझे बचपन से पैटर्न और प्रिन्ट्स ड्राइंग के लिए आकर्षित करते रहे हैं, जैसे टेक्सटाइल प्रिंट, मंडाला. सो मुझे क्लास में बैठे हुए भी इन पैटर्न्स को कॉपी में उतारने का जुनून था. बाद में मैं कई तरह के आर्ट फॉर्म्स पर काम करने लगी. अभी तक मैं मंडाला, ऑरनामेंटल पैटर्न, डूडलिंग, हाइपररीयलिस्टिंग आर्ट, कॉमिकल इलस्ट्रेशन, टाइपोग्राफी और क्राफ्ट जैसे विभिन्न किस्म के आर्टवर्क करती रही हूं.
उत्तराखण्ड के विभिन्न सांस्कृतिक पहलुओं को उकेरना चाहती हूं
उत्तराखंडी होने की वजह से मैंने बचपन से ही उत्तराखण्ड की संस्कृति के विभिन्न पहलुओं को बहुत करीब से देखा है. एक कलाकार होने के नाते मैं इसे अपना फर्ज समझती हूं कि उत्तराखण्ड की संस्कृति के विभिन्न पहलुओं को अपनी कला के माध्यम से लोगों के सामने रख सकूं.
मैं अपनी कला के माध्यम से लुप्त होते जा रहे सांस्कृतिक प्रतीकों को उनके रोजमर्रा जीवन का हिस्सा बना देना चाहती हूं, इसे आप मेरी आर्ट में देख सकते हैं. उत्तराखण्ड की सांस्कृतिक शैली इतनी समृद्ध है कि हम कभी किसी पश्चिमी डिजाइन के मोहताज नहीं हो सकते. कला का एक उद्देश्य होना चाहिए, मेरी कला का एक मकसद यह भी है.
स्थानीय भवन निर्माण शैली और वास्तुकला के क्षेत्र में कुछ बेहतर करना
एक आर्किटेक्ट और डिजाइनर होने की वजह से मैं उत्तराखण्ड के पारम्परिक भवन और वास्तुशिल्प को यहां के हर शहर के हिस्से के तौर पर देखना चाहती हूं. देश के कई हिस्सों – मिसाल के तौर पर जयपुर – पहुँचने पर वहां के घर देखकर मैं पहचान सकती हूं कि ये राजस्थानी शैली में बना है. उत्तराखण्ड के शहरों में स्थानीय के बजाय पश्चिमी शैली के भवन दिखाई देते हैं. मैं इस दिशा में भी भविष्य में काम करना चाहूंगी. आर्किटेक्ट के साथ ग्राफिक डिजाइनर होकर मैं इसे ज्यादा बेहतर तरीके से कर पाऊँगी.
फिलहाल में ग्राफिक्स के किसी बेहतरीन संस्थान में पहुंचकर देश-दुनिया की ग्राफिक और डिजाइनस को समझना-सीखना चाहती हूं. इसके अलावा मुझे फोटोग्राफी, वीडियोग्राफी, डांस और संगीत का भी शौक है. मेरे आर्ट वर्क को आप मेरे इंस्टाग्राम अकाउंट the_doodle_tales और फेसबुक पेज The__doodle__tales में देख सकते हैं. उत्तराखण्ड पुलिस की सुनीता नेगी जिनकी पेंटिंग में बसता है पहाड़ (Neha Uniyal Graphic Designer Architect Artist)