(वरिष्ठ पत्रकार गुणानंद जखमोला की कलम से)
– बलूनी क्लासेस के चेयरमैन डा. नवीन बलूनी और विपिन बलूनी के पिता हैं पूर्व फौजी जनार्दन बलूनी
– सफलता के शिखर को छू रहे बेटों को देते रहे हैं मानवीय मूल्यों की सीख
कुछ दिन पहले की बात है। बलूनी क्लासेस के प्रबंध निदेशक विपिन बलूनी कोटद्वार जा रहे थे। उनके पिता जनार्दन बलूनी ने पूछा, कोटद्वार जा रहे हो, विपिन बोले, जी। पिता ने कहा कि जब कोटद्वार जा रहे हो तो गांव तक हो आना। गांव के कुछ जरूरतमंदों के लिए कोटद्वार से कुछ ले जाना। पिता का यही आदेश काफी था।
विपिन बलूनी जी ने कोटद्वार से आटा, चावल, दाल, रिफाइंड समेत घरेलू जरूरतों की संपूर्ण राशन किट बनाई। 40 राशन किट बनाई और गांव ले गये। उन्होंने जरूरतमंदों को यह राशन दिया। यह पहली बार नहीं है। अक्सर बलूनी परिवार इस तरह के सामाजिक दायित्व का निर्वहन करता रहता है। प्रतिभावान आर्थिक रूप से कमजोर 50 विद्यार्थियों को बलूनी क्लासेस में हर साल सुपर-50 के तहत मेडिकल और इंजीनियरिंग की कोचिंग दी जाती है।
कोरोना काल में ही एमडी विपिन बलूनी ने अपनी टीम के साथ रक्तदान भी किया। एक दिन में विश्व की चैथी सबसे बड़ी चोटी तंजानिया की किलमंजारो की फतह करने वाली देवयानी सेमवाल से बात कर रहा था तो पता चला कि देवयानी की भी बलूनी परिवार ने लाखों की मदद की। इस तरह के कई उदाहरण हैं।
दरअसल, बलूनी भाइयों को यह सीख उनके फौजी पिता से ही मिली है। फलदार वृक्ष की तरह झुकना, माटी से जुड़े रहना, मानवीय मूल्यों और सामाजिक दायित्व की भावना दोनों बच्चों ने अपने पिता से सीखी है। काश, सभी सफल बच्चों के पिता जनार्दन बलूनी जैसे होते या उनसे सीख लेते। सभी पिताओं को फादर्स डे की शुभकामनाएं।