हर दिल अजीज पत्रकार दानिश खान का हल्द्वानी में निधन

हल्द्वानी (नेटवर्क 10 संवाददाता)। श्रमजीवी पत्रकार यूनियन के नैनीताल जिले के अध्यक्ष दानिश खान का अचानक गुरुवार देर शाम निधन हो गया। उनके निधन से पत्रकारिता जगत में शोक की लहर है। बताया गया है कि उन्हें सीने में दर्द की शिकायत पर शाम को हल्द्वानी के एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया था।अस्पताल में डॉक्टरों ने बताया कि दानिश खान को एक के बाद एक दो बार हार्ट एटैक आया। देर शाम दानिश खान ने इस दुनिया को अलविदा कह दिया।

दानिश खान के निधन की खबर जब अन्य जिलों में पत्रकारों को मिली तो शोक की लहर दौड़ पड़ी। पत्रकारों के वॉ्ट ऐप ग्रुप्स के माध्यम से ये खबर पूरे उत्तराखंड में फैल गई। जिसको भी दानिश खान के निधन की खबर मिली वो स्तब्ध रह गया। दरअसल दानिश खान हर दिल अजीज इंसान थे। उनके सभी पत्रकारों के साथ दिली रिश्ते थे। वे हमेशा खुशमिजाज दिखते थे, लेकिन किसको पता था कि वो इंसान इतनी जल्दी दुनिया को अलविदा कह देगा।

मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत और राज्यपाल बेबी रानी मौर्य ने पत्रकार दानिश खान के निधन पर शोक संवेदना व्यक्त की है।

-मैं दानिश खान भाई को उत्तराखंड में ही आकर जाना। 2002 में हमने जैन टीवी में साथ काम किया। उनसे पहली मुलाकात में ही ऐसा लगा जैसे दशकों पुराना रिश्ता हो। वे हमेशा पत्रकारों के हितों के बारे में सोचते थे। हल्द्वानी में रहकर संपूर्ण पर्वतीय अंचल से वाकिफ थे और बेहतरीन रिपोर्टिंग करते रहे। दो दिन पहले ही उनसे फोन पर बात हुई थी, क्या पता था कि वे इतनी जल्दी दुनिया को अलविदा कह देंगे। इस दुख की घड़ी में भगवान उनके परिवार को शक्ति दे और दानिश खान की आत्मा को शांति दे। -रमेश भट्ट, मुख्यमंत्री के मीडिया सलाहकार

-दानिश खान को दशकों से जानता हूं। कभी उनके पास जाना तो कभी उनका देहरादून आना। जब भी वे देहरादून आते तो मुलाकात के लिए सीधे घर चले आते थे। दानिश भाई हमेशा श्रमजीवी पत्रकारों के हितों के लिए लड़ाई लड़ते रहे। उनका एक ही सपना था कि पत्रकारों की सरकार सुध ले और उन्हें भी साधन संपन्न बनाए। वे आखिरी वक्त तक पत्रकारों के हकों की लड़ाई लड़ते रहे। -विश्वजीत नेगी, वरिष्ठ पत्रकार

-दानिश खान जी का यों चला जाना…यकीन नहीं होता। वे हर दिल अजीज इंसान थे। हमेशा पत्रकारों के बारे में सोचते रहते थे। श्रमजीवी पत्रकार यूनियन में उन्होंने ग्रामीण पत्रकारिता करने वाले श्रमजीवी पत्रकारों की हमेशा आवाज बुलंद की। आज वो आवाज हमेशा के लिए खामोश हो गई। ऊपरवाला उन्हें अपने श्रीचरणों में स्थान दे। -अजय ढौंडियाल, वरिष्ठ पत्रकार

-दानिश भाई की मौत की खबर ने झकझोर डाला। सालों तक हमने एक ही संस्थान में एकसाथ काम किया। वे जिले से रिपोर्टिंग करते थे और मैं स्टूडियो से खबरें प्रस्तुत करता था। खबरों को लेकर हम हमेशा एक दूसरे के संपर्क में रहते थे। दानिश भाई एक सुशील और हंसमुख इंसान थे। वे हमारे दिलों में हमेशा मुस्कुराते रहेंगे। -कैलाश बिष्ट, वरिष्ठ पत्रकार

-दानिश भाई के साथ रोज मिलना होता था। दिनभर की थकान को उनका हंसमुख अंदाज एक सेकेंड में मिटा देता था। वे हमेशा श्रमजीवी पत्रकारों के हकों की लड़ाई लड़ते रहे। वे साथी पत्रकारों की समय समय पर मदद भी करते थे। उनको श्रद्धांजलि। -पंकज सक्सेना, पत्रकार

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