अपने हीरा की खुशी के पलों में शरीक न हो पाने का गम…

-आईएमए से सटे प्रेमनगर निवासी रावत दंपत्ति का बेटा बनने जा रहा सैन्य अफसर
-सालभर से कर रहे थे 13 जून को यादगार बनाने की तैयारी, उम्मीदों पर फिरा पानी
-कोरोना संक्रमण के चलते परिजनों को नहीं है आईएमए आने की अनुमति
देहरादून (नेटवर्क 10 संवाददाता)। अपने लाडले की खुशियों में शामिल होने की ख्वाहिश हर किसी मां—बाप की रहती है। वह लंबे समय तक इस पल का बेसब्री से इंतजार करते हैं। भारतीय सैन्य अकादमी में साल में दो बार यानी जून व दिसंबर में आयोजित होने वाली पासिंग आउट परेड में भी अक्सर ऐसा देखा जाता है। क्योंकि परिजनों को उस वक्त का इंतजार रहता है जबकि वह अपने हाथों से अपने लाडले के कंधों पर पीप्स (सितारे) चढ़ा सके। लेकिन इस बार कोरोना संक्रमण ने मां—बाप की इन उम्मीदों पर पानी फेर दिया है। कैडेटों के परिजनों को पीआेपी देखने के लिए सैन्य अकादमी पहुंचने की अनुमति नहीं है। खास बात यह कि अकादमी से ही सटे हुए प्रेमनगर में रहने वाले परिजन भी अपने लाडले को मिलने वाली खुशी के इन पलों को करीब से नहीं देख पायेंगे। जबकि पिछले एक साल से वह 13 जून के दिन को खास ही नहीं बल्कि यादगार बनाने की तैयारी कर रहे थे।
जी हां, बात हो रही है आईएमए से सटे प्रेमनगर के विंग नंबर-सात में रहने वाले सेना के रिटायर नायब सुबेदार मोहन सिंह रावत व उनकी पत्नी मोहिनी रावत की। मूलरूप से चमोली जिले के नारायणबगड़ ब्लॉक के बिनायक गांव निवासी रावत दंपत्ति का इकलौता बेटा हीरा सिंह रावत (दीपू) भी इस बार आईएमए से पास आउट होकर बतौर लेफ्टिनेंट सेना का अभिन्न अंग बनने जा रहा है। उसे आर्मी एवियेशन कोर में कमीशन प्राप्त हो रहा है। केंद्रीय विद्यालय आईएमए से दसवीं व 12वीं उर्तीण करने के बाद हीरा ने आगरा स्थित दयालबाग इंजीनियरिंग कालेज से बीटेक किया था। इसके बाद उसका प्लेसमेंट टाटा कंसल्टेंसी सर्विस मे हुआ। लेकिन हीरा ने मल्टीनेशनल कंपनी के जॉब को ठुकरा कर अपने परिवार की परंपरा को आगे बढ़ाते हुए सेना ज्वाइन करने को तरजीह दी। लिहाजा सीडीएस की परीक्षा पास कर अकादमी में प्रवेश प्राप्त किया। अकादमी सें सालभर तक कड़ा सैन्य प्रशिक्षण प्राप्त करने के बाद अगले एक दिन बाद वह सेना मे अफसर बनने जा रहा है। मां—बाप अपने लाडले को मिलने जा रही खुशी के इस दिन का बेसब्री से इंतजार कर रहे थे।
लेकिन पिछले तीन माह से कोरोना (कोविड-19) संक्रमण के चलते जो हालात देश—दुनिया में बने हुए हैं उससे उम्मीदों पर पानी फिर गया है। परिजनों की मायूसी इस बात को लेकर भी कि महज कुछ दूरी पर आयोजित हो रही पासिंग आउट परेड के यादगार पलों को वह देख नहीं पा रहे हैं। सेना के रिटायर नायब सुबेदार मोहन सिंह रावत बताते हैं कि उन्हें अपने बेटे की कामयाबी पर खुशी है। गर्व इस बात का भी दादा, नाना व पिता के बाद बेटा भी अब सैन्य सेवा के जरिए देश के सरहदों की हिफाजत करने जा रहा है। बताया कि बेटा सैन्य यूनिट से जब छुट्टी लेकर घर आयेगा तो जरूर वह (मां—पिता) अपने हाथों से रस्मी तौर पर बेटे के कंधों पर पीप्स चढ़ायेंगे। पीआेपी को वह चैनलों पर लाइव देखेंगे। बता दें, कि इस बार अकादमी से पास आउट होने के बाद सभी कैडेट सात दिन की छुट्टी के बजाय सीधे अपनी—अपनी यूनिट ज्वाइन करने के लिए रवाना होंगे।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *