सतपाल और ओमप्रकाश ने तो सरकार को कठघरे में खड़ा कर डाला

देहरादून (नेटवर्क 10 संवाददाता)। हम बात कर रहे हैं दो ऐसे vvip की जिन्होंने पूरी उत्तराखंड सरकार को ही कठघरे में खड़ा कर डाला। vvip का मतलब आप समझते ही हैं। vvip माने वेरी वेरी इम्पोर्टेन्ट पर्सन। ये दो लोग हैं। पहले का नाम है ओमप्रकाश। ओमप्रकाश मुख्यमंत्री के अपर मुख्य सचिव हैं। ये वो महाशय हैं जिन्होंने अपने ही मुख्यमंत्री को कठघरेमें खड़ा कर दिया। दूसरे हैं सतपाल महाराज। सतपाल महाराज प्रदेश सरकार के कैबिनेट मंत्री हैं।

तो चलो पहले सतपाल महाराज की ही बात कर लेते हैं। सतपाल महाराज की वजह से नैनीताल हाइकोर्ट ने सरकार को सख्त नोटिस जारी किया है। कोर्ट ने सरकार से जवाब तलब किया है। हाइकोर्ट ने पूछा है कि आखिर कोरोना काल में सतपाल महाराज ने अगर क़्वारेनटाइन के नियम का उल्लंघन किया तो उनके खिलाफ मुकदमा दर्ज क्यों नही किया गया जबकि आम लोगों के खिलाफ मुकदमे दर्ज किए जा रहे हैं।

आपको पता ही है कि सातपाल महाराज को होम क़्वारेनटाइन होने की सलाह दी गयी थी पर महाराज नहीं मानी। वे कैबिनेट की बैठक में चले गए। इसके अलावा उन्होंने अपने विधानसभा क्षेत्र में लोगों को अनाज बांटा। यानी लोगों की जान के लिए खतरा पैदा किया। अब आप क्या कहोगे इन महाराज के लिए। वैसे तो ये दुनिया को प्रवचन देते रहते हैं पर इनको अपना और अपनी ही सरकार का ख्याल नही है। अपनी तो बेइज़्ज़ती कराई ही, पूरी सरकार को ही कठघरे में खड़ा कर दिया।

अब बात दूसरे महाशय की। जिनका नाम ओमप्रकाश है। 4 दिन पहले नैनीताल हाइकोर्ट ने इनकी कारस्तानी पर भी सरकार से जवाब तलब कर डाला। आपको पता ही हैकि ओमप्रकाश ने किया क्या था। दरअसल ओमप्रकाश मुख्यमंत्री के अपर मुख्य सचिव हैं। ओमप्रकाश ने यूपी के एक निर्दलीय विधायक अमनमणि त्रिपाठी और उनके 11 साथियों को बद्रीनाथ यात्रा पर जाने के लिए पास जारी करवाया। वो भी तब जब बद्रीनाथ के कपाट नही खुले थे। और तो और जब बद्रीनाथ समेत किसी भी धाम में जाने की किसी को इज़ाज़त नहीं थी। कोर्ट ने सरकार से पूछा कि आखिर अमनमणि त्रिपाठी और उनके साथियों को पास जारी क्यों किया गया। और ये पास जारी करने के लिए क्या ओमप्रकाश अधिकृत थे। कोर्ट ने ये भी पूछा है कि अगर पास जारी करना कानूनन गलत था तो ओमप्रकाश के खिलाफ क्या कार्रवाई की गई।

अब मिस्टर ओमप्रकाश ऐसे कारनामों को अंजाम देकर प्रदेश का मुख्य सचिव बनने का सपना देख रहे हैं। सरकार को भी सोच समझकर फैसला करना चाहिए कि क्या वो ऐसे अधिकारी को शासन के सर्वोच्च पद पर बिठाना चाहिए कि नहीं।

अब सरकार इन दोनों मामलों यानी सतपाल महाराज और ओमप्रकाश के मामले में कोर्ट में क्या जवाब देती है, ये तो हम अभी नहीं जानते लेकिन इन दोनों ने सरकार की खूब किरकिरी तो करा ही दी है। वैसे सरकार का जवाब चाहे जो भी हो लेकिन इन दोनों vvip पर कार्रवाई तो की ही जानी चाहिए ताकि जनता में एक अच्छा संदेश भी जाये और अफसरों, नेताओं को सबक भी मिले।

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