देहरादून (नेटवर्क 10 संवाददाता)। एक बड़ी खुशखबरी आज आपको देते है। ये खबर है पहाड़ में रेलगाड़ी चलने की। आने वाले पांच साल के भीतर उत्तराखंड के गंगोत्री और अमुनोत्री में रेलगाड़ी पहुंच जाएगी। यानि पांच साल के बाद गंगोत्री और यमुनोत्री दके दर्शन के लिए आना बेहद आसान हो जाएगा और श्रद्धालु यहां रेलगाड़ी से आ जा सकेंगे। जी हैं, गंगोत्री और यमुनोत्री तक रेल लाइन बिछाने के लिए फाइनल सर्वे रिपोर्ट तैयार कर ली गई है। आपको बता दें कि ये रेललाइन 121 किलोमीटर लंबी होगी। देहरादून के डोईवाला रेलवे स्टेशन से इस दूरी को नापा गया है। आपको यकीन नहीं होगा कि डोईवाला से गंगोत्री यमनोत्री पहुंचने में सिर्फ डेढ़ घंटे का समय लगेगा। अभी सड़क मार्ग से अगर हम डोईवाला से गंगोत्री के लिए निकलते हैं तो 10 से 12 घंटे कम से कम लगते हैं।
और इसके बीच दस रेलवे स्टेशन बनेंगे। इस रेललाइन के बीच 84 किमी का सफर सुरंगों से भरा होगा। जो सबसे लंबी सुरंग होगी वो 15 किमी लंबी होगी। इसके अलावा इस रेलमार्ग पर 17 छोटे बड़े पुल बनाए जाएंगे।
पांच साल में बनकर तैयार होने वाली इस रेललाइन पर करीब 22 हजार करोड़ रुपये का खर्चा आएगा। गुरुवार को इस रेल लाइन की फाइनल सर्वे रिपोर्ट रेल मंत्रालय और उत्तराखंड सरकार को दे दी गई है। बताया गया है कि अब रेल विकास निगम इस प्रोजेक्ट की डीपीआर बनाएगा। रेल मंत्रालय की स्वीकृति के बाद इस रेल लाइन पर काम शुरू हो जाएगा। आपको बता दें कि इस बार हिमालयी क्षेत्र की किसी रेल परियोजना के लिए पहली बार विस्तृत भू-वैज्ञानिक सर्वे भी किया गया है।
यहां आपको ये बताना जरूरी है कि गंगोत्री रेल लाइन देश की छठी सबसे ऊंची रेल लाइन होगी। समुद्र तल से इसकी ऊंचाई 1,200 मीटर होगी। मनाली-लेह 4500, अरुणाचल की सीको फ्रंट 2150, शिमला 2000, केदारनाथ (प्रस्तावित) 1700, श्रीनगर-बारामूला 1500 मीटर।
ये रेललाइन पूरी तरह पहाड़ों में होकर गुजरेगी लेकिन सबसे बड़ी खासियत ये होगी कि इसमें सबसे कम घुमावदार मोड़ होंगे। इस रेललाइन में सिर्फ 11 मोड़ होंगे। इस रेललाइन में सफर करते हुए यात्रियों को हसीन वादियों का दीदार होगा। हरे भरे पहाड़, नदियां और झरने देखते हुए सफर कटेगा।