देहरादून (नेटवर्क 10 संवाददाता)। उत्तराखंड में लगातार कोरोना संक्रमितों का आंकड़ा बढ़ता जा रहा है और दूसरी तरफ जो भी प्रवासी अब प्रदेश में आ रहा है उसको पहले क्वारंटाइन किया जा रहा है। कुछ मामलों में संस्थागत क्वारंटाइन में क्वारंटाइन होने वाले को खुद का खर्च खुद उठाना होगा। इन सब वजहों से अब प्रवासी प्रदेश में लौटने से डर रहे हैं।
दरअसल प्रवासियों को पहला डर तो ये सता रहा है कि प्रदेश में जिस तरीके से लगातार कोरोना संक्रमितों के मामले बढ़ रहे हैं, उससे कहीं उनमें भी संक्रमण न हो जाए। दूसरा डर है क्वारंटाइन का। अब होम क्वारंटाइन जैसी फैसिलिटी से सरकार ने इनकार कर दिया है। हवाई यात्रियों को पहले होटल में क्वारंटाइन किया जा रहा है वो भी उनके खर्च पर। होटल में क्वारंटाइन होने वालों को होटल में रहने और खाने का खर्च खुद वहन करना होगा।
शासकीय प्रवक्ता मदन कौशिक के मुताबिक हाल में एक लाख प्रवासियों ने उत्तराखंड लौटने के लिए पंजीकरण कराया था। इन सबसे फोन और मैसेज से बात की गई तो करीब 70 प्रतिशत यानी 70 हजार लोगों ने कोई रिस्पॉन्स नहीं दिया। जबकि 30 प्रतिशत लोगों यानि 30 हजार लोगों में से सिर्फ 3 हजार लोग ही प्रदेश लौटने के लिए तैयार हुए। बताया गया है कि दिल्ली से प्रवासियों को प्रदेश में लाने के लिए जो बसें भेजी गई थीं उनमें से अधिकांश बसें खाली वापस आई हैं।
वैसे सरकार के इस फैसले की पूरे प्रदेश में तारीफ हो रही है। प्रदेशवासियों का कहना है कि सरकार ने जिले में घुसने से पहले ही क्वारंटाइन करने का जो फैसला लिया है उससे पहाड़ में रहने वाले तमाम लोगों की सुरक्षा बढ़ी है। इससे पहले जो प्रवासी लौट रहे थे वे होम क्वारंटाइन के नाम पर घर में प्रवेश कर ले रहे थे लेकिन क्वारंटाइन के नियमों का पालन नहीं कर रहे थे। इससे गांव के तमाम लोगों में संक्रमण की आशंका बढ़ रही थी। आपकोे बता दें कि अब सरकार ने प्रवासियों को संस्थागत क्वारंटाइन करने की अनिवार्यता रखी है। इसकी चारों तरफ तारीफ हो रही है।
आपको ये भी बता दें कि शुरुआत में प्रवासी बड़ी संख्या में प्रदेश लौटे। तब प्रदेश में इक्का दुक्का कोरोना के मामले मिल रहे थे। प्रवासियों को भी लग रहा था कि प्रदेश उनके लिए मुफीद है। इसी वजह से ज्यादातर लोग पहले लौट गए। अब जब मामले बढ़ने लगे हैं तो उनमें भय उत्पन्न हो गया है।
सरकार ने शुरुआत में फैसला किया था कि सिर्फ उन लोगों को प्रदेश में लाने की व्यवस्था की जाएगी जो लोग दूसरे प्रदेशों में फंसे हैं, लेकिन इस फैसले के बाद सरकार पर चौतरफा दबाव बनाया गया कि जो भी प्रवासी प्रदेश लौटना चाहता है उसको लाने की व्यवस्था सरकार करे। इसके बाद जब सरकार ने फैसला किया तो तमाम लोग प्रदेश मे लौटने लगे। यहां तक कि इनमें ज्यादतर वो लोग हैं जो कहीं फंसे हुए नहीं थे। और तो और जिन लोगों के गांवों के घरों में रहने की समुचित व्यवस्था नहीं थी वे भी जबरन लौट आए थे।