हल्द्वानी (नेटवर्क 10 संवाददाता): लॉकडाउन के चलते लीसे की नीलामी नहीं हो पा रही है. तापमान बढ़ने के साथ-साथ में लीसे में आग लगने का खतरा बढ़ जाता है. ऐसे में लीसे की तपिश को ठंडा करने के लिए वन विभाग अपने सभी डिपो में डंप लीसे की तपिश को ठंडा करने में जुटा है. बता दें, हनुमानगढ़ी और शीश महल लीसा डिपो में करीब 35 करोड़ से अधिक का अति ज्वलनशील पदार्थ लिसा डंप है. डंप लीसे से जहां सरकार को राजस्व का नुकसान हो रहा है, तो वहीं जान माल का भी खतरा बना हुआ है. ऐसे में वन विभाग लीसे की सुरक्षा के लिए रात दिन काम में लगा हुआ है. वनकर्मी लीसा पर पानी की बौछार कर रहे हैं, जिससे लीसा में आग न लगे.
क्षेत्राधिकारी नैनीताल डिवीजन डीआर बिजूलाल के मुताबिक हनुमानगढ़ लीसा डिपो में करीब 35 हजार क्विंटल, जबकि शीशमहल डिपो में 45 हजार क्विंटल लीसा डंप है. इसकी उठान के लिए टेंडर प्रक्रिया का काम चल रहा है.
सरकार को राजस्व का भारी नुकसान
- हर साल करीब 2 लाख कुंतल निकाला जाता है लीसा.
- जिसकी करीब डेढ़ सौ करोड़ रुपये होती है कीमत.
- चीड़ के पेड़ के तनों से निकलने वाला लीसा अति ज्वलनशील पदार्थ.
- लीसा भंडारण के प्रदेश में 4 स्थान चयनित.
- 2 लीसा डिपो हल्द्वानी में, 1 टनकपुर में जबकि चौथा नरेंद्र नगर में स्थापित.
- लीसा का सबसे ज्यादा हल्द्वानी डिपो के सुल्तान नगरी और हनुमानगढ़ी में किया जाता है भंडारण.
- नैनीताल जनपद के दोनों डिपो में करीब 75 हजार क्विंटल लीसा डंप.
- बड़े-बड़े उद्योगों में किया जाता लीसा का उपयोग.
- तारपीन, बिरोजा, वार्निश और कागज उद्योग में किया जाता है लीसा का प्रयोग.
लीसा नीलामी की प्रक्रिया तेज
डीएफओ टीआर बिरजूलाल कहना है कि डिपो में रखा लीसा सुरक्षित है और वन विभाग द्वारा इस पर लगातार निगरानी रखी जाती है. आग के घटना से निपटने के लिए सभी उपाय भी किए गए हैं. उन्होंने कहा कि लीसे की नीलामी की प्रक्रिया की जा रही है.