21 साल बाद टूट गई परंपरा, तीन – तीन मुख्यमंत्री प्रत्याशी हारे

देहरादून (राकेश चंद्र डंडरियाल)। अलग राज्य बनने के बाद पांच साल कांग्रेस और पांच साल भाजपा सरकार रहने की परंपरा आखिरकार टूट गई है। प्रदेश में पहली बार भाजपा की सरकार दुबारा से आ गई है। लेकिन पहली बार मुख्यमंत्री पद के तीनों दावेदार विधानसभा चुनाव हार गए है। सबसे अप्रत्याशित और चौकाने वाला रिजल्ट रहा पुष्कर सिंह धामी का जिन्हें खटीमा से कांग्रेस के भुवन चन्‍द्र कापड़ी ने 6579 मतों से हराया, पार्टी जीत गईं लेकिन खुद योद्धा हार गए , दूसरी हार हरीश रावत की रही वे भी लालकुवां विधानसभा से बीजेपी के डा0 मोहन सिंह बिष्ट से 17527 मतों से हार गए। तीसरी हार गंगोत्री से आम आदमी के मुख्यमंत्री प्रत्याशी कर्नल अजय कोठियाल की हुई उन्हें तीसरे नंबर पर 5998 वोटों से संतुष्ट रहना पड़ा।

2017 के चुनाव में प्रचंड बहुमत मिलने के बावजूद पांच साल में BJP ने तीन CM बदले। सबसे पहले केंद्रीय नेतृत्व के भरोसेमंद रहे त्रिवेंद्र सिंह रावत को सीएम बनाया गया, लेकिन उनकी कार्यशैली से कार्यकर्ताओं और विधायकों में नाराजगी बढ़ती चली गई। चार साल बाद त्रिवेंद्र को हटाकर तीरथ सिंह रावत को CM बनाया गया।

तीरथ ने आते ही अपनी उलट पलट बयांन बाजी शुरू कर दी जिस कारण पार्टी को कई बार असहज स्थिति में खड़ा कर दिया था । ऐसा लगा कि पार्टी चुनाव में 20 सीटों तक सिमट कर रह जाएगी। इंटर्नल सर्वे और संगठन के फीडबैक के आधार पर ‌BJP ने तीसरी बार रिस्क लिया। दूसरी बार विधायक बने युवा नेता पुष्कर सिंह धामी को चुनाव से आठ माह पहले CM बनाया गया। धामी ने सक्रियता दिखाई, जिससे BJP चुनाव जीत गई। पर सीएम धामी खुद चुनाव हार गए।

हरीश रावत ले डूबे
कांग्रेस में गुटबाजी हावी रही। पहले हरीश रावत और प्रदेश अध्यक्ष रहे प्रीतम सिंह के बीच कोल्डवॉर चला। उनकी प्रदेश प्रभारी देवेंद्र यादव से भी रावत की नहीं बनी। CM चेहरा घोषित न किए जाने से भी रावत नाराज थे। मामला दिल्ली दरबार पहुंचा तो राहुल गांधी ने हरीश रावत के नेतृत्व में चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया, लेकिन उन्हें पंजाब की तरह CM चेहरा घोषित नहीं किया। हरीश रावत के कारण पार्टी ने जहाँ सल्ट और रामनगर की सीट खोयी वही वे अपनी सीट बचाने में भी असमर्थ रहे ।

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