गणतंत्र दिवस परेड में “देवभूमि उत्तराखंड” की झांकी सबके लिये आकर्षण का केन्द्र बनेगी

देहरादून: देशभर में गणतंत्र दिवस की तैयारियां जोरो-शोर से चल रही है। हर साल की तरह इस साल भी दिल्ली राजपथ पर गणतंत्र दिवस की परेड होगी। जिसमें सांस्कृतिक झांकियों के लिए उत्तराखंड की भी खास झांकी का चयन किया गया है। इस बार परेड में उत्तराखंड के टिहरी बांध और डोबरा चांठी पुल और भगवान बद्री विशाल के मंदिर की झांकी देश-दुनिया के सामने प्रस्तुत की जाएगी। उत्तराखंड राज्य के कलाकारों द्वारा उत्तराखंड की पांरपरिक वेशभूषा में राष्ट्रीय रंगशाला में आकर्षक सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किया गया जिसे उपस्थित लोगों द्वारा सराहा गया। साथ ही इन 12 राज्यों के कलाकारों द्वारा भी अपने-अपने प्रदेश की झांकी के साथ पांरपरिक वेशभूषा में प्रस्तुति दी गई। गणतंत्र दिवस समोराह में इस वर्ष 12 राज्यों की झांकी सम्मिलित की गई है।

गणतंत्र दिवस परेड के लिए उत्तराखंड की झांकी में सूचना विभाग के संयुक्त निदेशक एवं नोडल अधिकारी के.एस. चैहान के नेतृत्व में उत्तराखंड राज्य से 16 कलाकार गणतंत्र दिवस परेड में उत्तराखंड झांकी में भाग ले रहे हैं। गणतंत्र दिवस के अवसर पर राजपथ पर उत्तराखंड की ओर से प्रदर्शित की जाने वाली झांकी का विषय “देवभूमि उत्तराखंड” रखा गया है।  झांकी के अग्र भाग में हेमकुंड साहिब गुरुद्वारा दिखाया गया है। हेमकुंड साहिब प्राचीन हेमकुंड झील के तट पर लगभग 4,329 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। सबसे पवित्र सिख तीर्थस्थलों में से एक, हेमकुंड साहिब में प्रत्येक वर्ष हजारों तीर्थयात्रियों को आकर्षित करता है। बर्फ से ढकी चोटियों से घिरा, गुरुद्वारा की सुरम्य प्रकृति और ट्रेक मार्ग, जिसमें फूलों की घाटी भी शामिल है, ट्रेकर्स और पर्यटकों के लिए भी एक लोकप्रिय आकर्षण हैं।

गौरतलब है कि उत्तराखंड राज्य बनने के बाद से अब तक 13 बार राजपथ पर देवभूमि की झांकी को प्रदर्शित किया गया है। साल 2003 में सबसे पहले फूलदेई की झांकी को परेड में शामिल किया गया था। इसके बाद आने वाले सालों में नंदा राजजात यात्रा, फूलों की घाटी, कॉर्बेट नेशनल पार्क, साहसिक पर्यटन, कुंभ मेला, जड़ी-बूटी, केदारनाथ धाम पुनर्निर्माण, ग्रामीण पर्यटन, अनासक्ति आश्रम कौसानी, केदारनाथ धाम की झांकी राजपथ पर नजर आईं हैं। हमेशा से उत्तराखंड की झांकी गणतंत्र दिवस के मौके पर होने वाली परेड का आकर्षण केंद्र रहती है। इस बार भी देवभूमि की संस्कृति को परेड में शामिल किया जाएगा।

 

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