उत्तराखंड; क्वारंटाइन में रहकर पति पत्नी ने बदल डाली स्कूल की तस्वीर

(आरती रावत पुंडीर और संजय चौहान की कलम से)

पौड़ी। कोरोना वाइरस के वैश्विक संकट की इस घड़ी में अपने अपने गांव वापस लौटे लोगों के लिए भले ही गांव के क्वारेंटाइन सेंटर में रहना अखर रहा हो। कई लोग क्वारेंटाइन सेंटर में सुविधाओं को लेकर आक्रोशित हो परंतु कुछ लोग ऐसे भी हैं जिन्होंने क्वारेंटाइन अवधि में अनुकरणीय कार्य करके एक उदाहरण प्रस्तुत किया है। कोरोना वाइरस के वैश्विक संकट के इस दौर में जहां चारों ओर निराशा का भाव फैला हुआ हो और लोग बेहद मानसिक तनाव में जिंदगी गुजर बसर कर रहे हो वहां ऐसी शुकुन से भरी खबरें मन को प्रफुल्लित कर देती हैं और आशा जगाती हैं।

मंजिल उन्हीं को मिलती है सपनों में जिनके जान होती है, पंख से कुछ नहीं होता हौसलों से उड़ान होती है….
उपरोक्त पंक्तियाँ क्वारेंटाइन सेंटर में रह रहे नेगी परिवार पर सटीक बैठती है। उत्तराखंड के पौडी गढवाल के खिर्सू ब्लाॅक के असिंगी गांव के प्राथमिक विद्यालय असिंगी में सरोज नेगी और उनकी पत्नी कामिनी नेगी व उनके बच्चे 14 दिनों के लिए क्वारेंटाइन हुये हैं। ये परिवार दिल्ली से गांव आया था। यहाँ क्वारेंटाइन होने के बाद उन्होंने देखा की लाॅकडाउन के कारण विगत दो महीने से विद्यालय बंद है जिस कारण से विद्यालय परिसर और विद्यालय के चारों ओर झाडियां उग आई है।

विद्यालय की फुलवारी में भी खरपतवार, दूब, घास काफी बढ़ गई है, बिना पानी के फुलवारी के फूलों के पौधे भी सूख रहें हैं। ऐसे में सरोज नेगी और उनकी धर्मपत्नी कामिनी नेगी नें बच्चो के संग क्वारेंटाइन अवधि का सदुपयोग करते हुए विद्यालय की तस्वीर बदल डाली। उन्होंने विद्यालय के चारों ओर की झाडियां काट डाली, प्रांगण में उग आई घास को साफ करके पूरे विद्यालय परिसर की साफ सफाई कर दी और विद्यालय की फुलवारी को सुबह शाम पानी से सींच कर फूलों के पौधों को सूखने से बचाया। इस दौरान इनके छोटे छोटे बच्चे भी काम में इनका हाथ बटा रहें हैं।

राजकीय प्राथमिक विद्यालय असिंगी की अध्यापिका आरती रावत पुंडीर जब अपने विद्यालय में पहुंची तो विद्यालय की तस्वीर को देखकर हतप्रभ हो गयी। उन्होंने सरोज नेगी और उनकी पत्नी कामिनी नेगी की भूरी भूरी प्रशंसा करते हुए कहा की दोनों ने अन्य लोगों के लिए एक उदाहरण प्रस्तुत किया है कि किस तरह से समय का सदुपयोग किया जा सकता है। साथ ही उन्होंने लोगो से अपील भी की है कि ग्राम सभाओं में जो क्वारंटीन हैं वे प्रशासन का सहयोग करें। सोशल डिस्टेंस का पालन करें। घरों से बाहर न निकले। इसमें आपकी भी सुरक्षा है। हमारी भी है और गाॅ॑व वालों की सुरक्षा भी है।

वास्तव में देखा जाए तो कई लोगों नें लाॅकडाउन और क्वारेंटाइन अवधि का सदुपयोग करते हुए अनुकरणीय और प्रेरणादायक कार्य किये हैं। इस अवधि में कोई क्वारेंटाइन सेंटर में पेंटिंग कर रहा है तो कोई सडक बनाने में जुटा है तो कोई पेयजल लाइन दुरस्त करनें में लगा है तो कोई साफ सफाई। इन सबके बीच सरोज नेगी और उनकी पत्नी कामिनी नेगी का ये प्रयास सराहनीय तो है ही अपितु अनुकरणीय भी है। साथ ही अन्य लोगों के लिए उदाहरण भी प्रस्तुत किया है। कोरोना वाइरस के वैश्विक संकट के इस दौर में हर किसी की जबाबदेही है कि वो कोरोना के संक्रमण को लेकर दूसरों को जागरूक करें, खुद उदाहरण प्रस्तुत करें और जिम्मेदार भी बनें। आपसी सहयोग से ही हम कोरोना को हरा पायेंगे।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *