नैनीताल (नेटवर्क 10 संवाददाता)। उच्च न्यायालय ने पशुपालन विभाग में 15 करोड़ से च्यादा के चारा घोटाले के मामले में दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए मुख्य सचिव को चार माह में जांच पूरी करने के आदेश दिए हैं। साथ ही कहा है और अगर किसी तरह की खामियां पाई जाती हैं तो उस पर कार्रवाई की जाए। कोर्ट ने याचिकाकर्ता से याचिका में से अधिकारियों के नाम हटाने को कहा है।
बुधवार को वरिष्ठ न्यायाधीश न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी व न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ में समाजसेवी गौरी मौलेखी की जनहित याचिका पर सुनवाई हुई। इसमें कहा गया है कि पशुपालन विभाग में चारा घोटाला हुआ है। पशुपालन विभाग राज्य से 2050 रुपये क्विंटल में चारा खरीदने के बजाय पंजाब से 3200 रुपये प्रति क्विंटल में खरीद रहा है। याचिकाकर्ता का आरोप है कि पशुपालन विभाग ने 14 करोड़ की लागत से 10 साल से ऊपर की भेड़ ऑस्ट्रेलिया से खरीदी है, जिसका किसी भी तरह का उपयोग नहीं हो सका है। कई लग्जरी गाडिय़ां भी विभाग ने खरीदी हैं। याचिकाकर्ता ने पशुपालन विभाग में चल रही वित्तीय अनियमितताओं की जांच और घोटालेबाजों पर कार्रवाई की मांग की है।