पिथौरागढ़ (नेटवर्क 10 संवाददाता)। प्रदेश में भारी बारिश से नदी-नाले उफान पर हैं. वहीं भारत-चीन सीमा से लगे उच्च हिमालयी क्षेत्र दुंग में गोरी नदी के पार फंसे 4 स्थानीय लोगों को आईटीबीपी के जवानों ने रेस्क्यू किया. ये लोग भारी बारिश के कारण 13,000 फीट की ऊंचाई पर स्थित दुंग में गोरी नदी के पार फंसे हुए थे. ये लोग यहां कीड़ा जड़ी यानी हिमालयन वियाग्रा निकालने गए थे. आईटीबीपी के जवानों ने तमाम मुश्किलों को पार करते हुए सभी लोगों को सुरक्षित निकाल लिया है.
गौर हो कि 13 हजार फीट की ऊंचाई पर स्थित दुंग में फंसे 4 स्थानीय लोगों को आईटीबीपी के जवानों द्वारा रेस्क्यू किया गया. ये लोग कीड़ा जड़ी (यारशागुंबा) को खोजने के लिए उच्च हिमालयी क्षेत्रों की ओर निकले थे. लेकिन भारी बारिश के कारण गोरी नदी का जलस्तर बढ़ने से नदी को पार नहीं कर सके. दुंग में तैनात आईटीबीपी 14वीं बटालियन के जवानों को जब इसकी जानकारी लगी तो स्थानीय लोगों को कड़ी मशक्कत के बाद सुरक्षित निकाला गया.
क्या है कीड़ा जड़ी? कीड़ा जड़ी एक तरह की फफूंद है. ये जड़ी पहाड़ों के लगभग 3,500 से 5000 मीटर की ऊंचाई वाले इलाकों में पाई जाती है. जहां ट्रीलाइन खत्म हो जाती है, यानी जहां पेड़ उगने बंद हो जाते हैं. एक कीट का प्यूपा लगभग 5 साल पहले हिमालय और तिब्बत के पठारों में भूमिगत रहता है. इसके बाद यह फफूंदी (मशरूम) सूंडी के माथे से निकलती है.
कीड़ा जड़ी को यारशागुंबा या फिर हिमालयन वियाग्रा के नाम से भी जाना जाता है. इस जड़ी बूटी का साइंटिफिक नाम कोर्डिसेप्स साइनेसिस (Caterpillar fungus) है. कीड़ा जड़ी कई गंभीर बीमारियों के काम आती है. इसकी कीमत अंतरराष्ट्रीय मार्केट में लाखों में हैं. कीड़ा जड़ी को फेफड़ों और गुर्दे को मजबूत करने, ऊर्जा और जीवन शक्ति को बढ़ाने, रक्तचाप को कम करने के लिए माना जाता है.