त्रिवेंद्र का ड्रीम प्रोजेक्ट 13 डिस्ट्रिक्ट,13 डेस्टिनेशन योजना अधर में लटकी

त्रिवेंद्र का ड्रीम प्रोजेक्ट 13 डिस्ट्रिक्ट,13 डेस्टिनेशन योजना अधर में लटकी

बागेश्वर : तीन साल बाद भी 13 डिस्ट्रिक्ट,13 डेस्टिनेशन योजना धरातल में नही उतर पाई है। जिले से प्रशासन ने जो डीपीआर बनाकर शासन को भेजी बनाई वह आज तक स्वीकृत ही नही हुई। अब कुमांऊ कमिश्नर के संज्ञान में लेने के बाद कार्यदायी संस्था बदल दी गई है। सीएम बनने के बाद त्रिवेंद्र सिंह रावत का यह ड्रीम प्रोजेक्ट था। वह तो चले गए लेकिन उनकी योजना आज तक धरातल पर नही उतर पाई। ऐसे हालातों में सहज अंदाजा लगाया जा सकता है, राज्य के नीति निर्माता अपनी ही लोक कल्याणकारी योजनाओं के प्रति कितने गंभीर हैं।

सरकार का पर्यटन प्रदेश का सपना, सपने जैसा ही बनकर रह गया है। इसमें दोष किसी का नही सीधे सरकार का ही है। यही कारण है कि राज्य बनने के बीस साल बाद भी हम नए पर्यटन स्थलों को पर्यटकों के लिए विकसित नही कर पाए हैं। यही हुआ है 13 डिस्ट्रिक्ट, 13 डिस्टेशन योजना का। प्रदेश में पर्यटन की संभावनाओं को तलाशन के लिए दो साल पहले तत्कालीन मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने इसका शुभांरभ किया था। नए डेस्टिनेशन देखे जाने थे ताकि उनको पर्यटक क्षेत्र के रूप में विकसित किया जा सके।

बागेश्वर ने भी गरुड़ के रैतोली में टी गार्डन और मुख्यालय के पास जौलकांडे में माउंटेन बाइकिंग को विकसित करने का प्रस्ताव भेजा। डीपीआर तैयार करने की जिम्मेदारी कार्यदाई संस्था लघु सिंचाई को दी गई। डीपीआर तैयार भी की गई। उसे जब शासन को भेजा गया ताे पता चला की डीपीआर ही गलत बन गई है। जो अभी तक स्वीकृत ही नही हुई। अन्य जिलों का हाल भी इससे जुदा नही है।

यह खुलासा बुधवार को मंडलायुक्त की बैठक में हुआ। जिसके बाद अब कुमांऊ मंडल विकास निगम को कार्यदायी संस्था बनाया गया है जो डीपीआर तैया करेगा। अब देखना दिलचस्प होगा की सही डीपीआर बनती है या नही। यह भी नही कह सकते है कि जो डीपीआर बनेगी वह ठीक ही होगी।

जिला पर्यटन अधिकारी कीर्ति चंद्र आर्या ने बताया कि पहली जो डीपीआर भेजी थी वह स्वीकृत नही हुई। अब केएमवीएन को कार्यदाई संस्था बना गया है। जो दो जगहों के डीपीआर तैयार करेगा। जिसके बाद स्वीकृति को शासन को भेजा जाएगा।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *