देहरादून: उत्तराखंड पुलिस ने एक बहुत बड़े मामले का पर्दाफाश करते हुए 250 करोड़ रुपये की साइबर ठगी का खुलासा किया है। बताया जा रहा है कि यह ठगी 1000 करोड़ तक की हो सकती है। इस धोखाधड़ी को पावर बैंक नाम के एक मोबाइल एप के माध्यम से अंजाम दिया जा रहा था। इसके तहत 15 दिन में पैसे दोगुने करने का लालच देकर लोगों को ठगा जा रहा था। अभी तक की जांच में मालूम हुआ है कि धोखाधड़ी कर इक्ट्ठा किया गया यह रुपया क्रिप्टो करेंसी में कन्वर्ट कर चीन और दूसरे देशों को भेजा जा रहा था। वहां इसे लोकल करंसी में बदला जा रहा था।
सरगना गिरफ्तार
उत्तराखंड पुलिस की एसटीएफ ने इस पावर बैंक जालसाजी मामले में यूपी के नोएडा से गिरोह के मुख्य सरगना पवन कुमार पांडेय को गिरफ्तार किया है। उसके पास से 19 लैपटॉप, 592 सिम कार्ड, 5 मोबाइल फोन, 4 एटीएम और 1 पासपोर्ट भी बरामद हुए हैं।
ऐसे हुआ मामले का खुलासा
बता दें कि हरिद्वार के रहने वाले एक व्यक्ति ने पुलिस की साइबर सेल में शिकायत दर्ज करवाई थी कि उसके दोस्त ने बताया कि पावर बैंक ऐप में रूपये इन्वेस्ट करने पर मात्र 15 दिन में रुपये दोगुने हो रहे हैं। दोस्त की बात सुन लालच में आए उस व्यक्ति ने भी ऐप पर 91,200 और 73,000 हजार रुपये जमा किए। RAZORPAY और PAYU से पैसों का ट्रांसफर पता करने पर पता चला कि सभी पैसे अलग-अलग वॉलेट से दूसरे बैंक खातों में भेजे जा रहे थे।
इसके बाद ये पैसे क्रिप्टो करंसी के जरिए शेल कंपनियों के अकाउंट में ट्रांसफर किए जाते थे। ये कंपनियां और अकाउंट भी फर्जी तरीके से बनाए गए थे। बताया जा रहा है कि चीन में बैठे इस प्लान के मास्टरमाइंड अपने लिए ठगी का धंधा चलाने वालों को टेलिग्राम और यूट्यूब से तलाशते थे।
500 से 1000 करोड़ तक हो सकता है घोटाला: डीजीपी
उधर, उत्तराखंड डीजीपी अशोक कुमार दावा किया है कि यह घोटाला 500 से 1000 करोड़ तक का हो सकता है। उन्होंने कहा कि चीनी लोगों से संगठित यह गैंग पूरे देश में काम कर रहा है। जिसका भंडाफोड़ सबसे पहले उत्तराखंड एसटीएफ की ओर से किया गया है। लिहाजा अभी उत्तराखंड पुलिस ने ढाई सौ करोड़ रुपए के स्कैम का पर्दाफाश किया है, लेकिन यह घोटाला 1000 करोड़ तक का हो सकता है। उन्होंने कहा कि देश के 10 लाख लोगों का पैसा पावर बैंक एप के माध्यम से लगाया गया है।