देहरादून:महामारी से जूझ रहें उत्तराखंडवासियों के लिए तीरथ सरकार की फ्री वैक्सीन की सौगात एक राहत भरी खबर है।अब 18 वर्ष के ऊपर का हर व्यक्ति टीका लगाकर कोरोना महामारी से इस लड़ाई में अपना व्यक्गित योगदान दे सकता है । युवाओं में कोरोना से होने वाली मृत्युदर को शून्य तक पहुॅचाकर भविष्य के जनसंसाधन के संगरक्षण का मार्ग प्रशस्त होगा। युवाओं में वैक्सीन से रूग्णता कम होगी जिससे उनकी उत्पादकता बनी रहेगी। युवाओं को काम के लिये प्रवास या देशान्तरण करना होता है, अतः वैक्सीन लगाकर वे मानसिक और जैविक रूप से अधिक सुरक्षित रहेगें । वैक्सीन का एक अप्रत्यक्ष लाभ बिना लक्षणों वाले मरीजों द्वारा रोग के प्रसार में कमी आना है। कम उम्र के लोग ही बिना लक्षणों वाला संक्रमण अधिक फैलाते हैं। युवाओं के पास मौका है कि वे टीकाकरण में बढचढकर हिस्सा लंे और सफल सुरक्षित भविष्य की ओर अग्रसर होवें।
यह वक्त कोरोन के टीके से जुड़ी मिथ्या धारणाओं पर चोट करने का भी है। टीका लगाने से कोरोेना से ग्रस्त रोगी को कोई लाभ नही होने वाला -इसलिए बुखार के रोगी टीकाकरण की लाईन मे न लगें ।ऐसे में वे सिर्फ स्वस्थ लोगो को कोरोेना फैलाने का ही काम करेगें- जिससे र्वैक्सीन के बारे में दुष्प्रचार और बड़ेगा। जैसे कि वैक्सीन लगने के बाद भी कोरोना संक्रमण हो गया इत्यादि।
कोरोना संक्रमित व्यक्ति कुछ महिनों के लिए दोबारा कोरोना से सुरक्षित रहेगा, अतः उसे वैक्सीन की कतार में खड़े होने की बिल्कुल जरूरत नही। यहाॅ पर यह बताना जरूरी है कि क्यों किसी भी बुखार में कोरोना की जाॅच सबसे जरूरी है। कोरोना जाॅच नैगेटिव होने पर हाल में बुखार से ग्रसित व्यक्ति भी टीका लगा सकता है। वैक्सीनेशन में भागीदारी के लिये कोरोना टैस्ट में भागेदारी भी इसीलिये जरूरी है।
प्लाज्मा या अंटीबाॅडी से जिन रोगियों के कोरोना का ईलाज हुआ है हुआ है वे केवल 03 माह यानि 90 दिन के बाद ही कोरेाना वैक्सीन लगा सकेगें। जबकि अन्य कोरोेना रोगी पूरी तरह ठीक होने के बाद ही यह वैक्सीन लगायें- जैसे कि लक्षणांे के ठीक होने के 04 सप्ताह के बाद।
कोरोना की वैक्सीन कोरोना के प्राकृतिक संक्रमण से बेहतर प्रतिरोधक क्षमता पैदा करती है -इसलिए एक बार कोरोना हुये व्यक्ति को भी यह वैक्सीन लगानी आवश्यक है- ताकि वे पूरी तरह महामारी से सुरक्षित रह सके।
वैक्सीन के दो लाभ है एक तो जानलेवा कोरोना संक्रमण के बचाव के साथ-साथ दूसरों को संक्रमित करने की क्षमता में कमी। लक्षणविहिन प्रसार में भी वैक्सीन से कमी आयेगी। वैक्सीन लगने से एक लाख में 60 मौते कम हो जायेगी तथा भर्ती होने वाले 200 मरीज कम हो सकते हंै। जिससे की स्वास्थ संसाधनों पर काबिज बोझ काफी हदतक कम हो जायेगा।किन्तु वैक्सीन मास्क-फ्री होने की गांरटी नहीं -मास्क तब तक लगाते रहना पड़ेगा जब तक देश के 80 फीसदी लोगों का टीकाकरण नहीं हो जाता।