नई दिल्ली (नेटवर्क10 टीवी ) जम्मू-कश्मीर में 4जी इंटरनेट बहाली का आदेश देने से उच्चतम न्यायालय (सुप्रीम कोर्ट) ने फिलहाल इनकार कर दिया है। न्यायालय ने जम्मू कश्मीर में 4जी इंटरनेट सेवा प्रदान करने के अनुरोध पर विचार के लिए गृह मंत्रालय के सचिव की अध्यक्षता में एक समिति गठित करने का सोमवार को आदेश दिया।
न्यायमूर्ति एन वी रमण, न्यायमूर्ति आर सुभाष रेड्डी और न्यायमूर्ति बी आर गवई की पीठ ने अपने फैसले में कहा कि इस समिति में जम्मू कश्मीर के मुख्य सचिव और संचार सचिव भी शामिल होंगे। यह समिति 4जी इंटरनेट सेवा बहाल करने के याचिकाकर्ताओं के अनुरोध पर विचार करेगी।
न्यायालय ने फाउण्डेशन फॉर मीडिया प्रफेशनल्स , शोएब कुरैशी और जम्मू कश्मीर प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन की याचिकाओं पर यह फैसला सुनाया और साथ ही यह भी कहा कि राष्ट्रीय सुरक्षा और मानव अधिकारों के बीच संतुलन सुनिश्चित करने की आवश्यकता है।याचिकाकर्ताओं द्वारा दायर दलीलों में दावा किया गया कि 2जी सेवाएं शिक्षा और अन्य सेवाओं के संचालन के लिए पर्याप्त नहीं हैं। न्यायमूर्ति एनवी रमण ने कहा कि अदालत को यह सुनिश्चित करना है कि राष्ट्रीय सुरक्षा और मानवाधिकार संतुलित हों। उन्होंने कहा कि हम समझते हैं कि केंद्र शासित प्रदेश संकट में है। इस समय अदालत कोरोना महामारी और इसे उत्पन्न हुई कठिनाई से संबंधित चिंताओं का भी संज्ञान ले रहा है।
गौरतलब है कि इससे पहले मामले पर हुई सुनवाई में, जम्मू कश्मीर प्रशासन ने हलफनामा दायर करके सेवा बहाली का विरोध किया था। प्रशासन ने कहा था कि जम्मू कश्मीर के भीतर सक्रिय आतंकी माड्यूल और सीमा पार बैठे उनके आका फर्जी खबरें प्रसारित करके लोगों को भड़का रहे हैं।
प्रशासन ने हलफनामे में कहा था कि आतंकवादी गतिविधियों को बढ़ावा देने और भड़काऊ सामग्री, विशेष रूप से फर्जी खबरों तथा फोटो और वीडियो क्लिप के प्रसारण से लोगों को उकसाने के लिए इंटरनेट सेवा के दुरूपयोग की आशंका है जो सुरक्षा और सार्वजनिक व्यवस्था के लिए खतरा है।
हलफनामें में यह भी कहा गया था कि कोरोना वायरस संक्रमण की पुष्टि वाले मामलों की संख्या और मृत्यु के बारे में अनेक अफवाहें फैला कर अराजकता और दहशत फैलाई गई है। इसी तरह जम्मू-कश्मीर में आल पार्टी हुर्रियत के अध्यक्ष सैयद अली शाह गिलानी जैसे प्रमुख लोगों के स्वास्थ्य और मकबूल भट, अफजल गुरू की बरसी के अवसर पर जेकेएलएफ द्वारा बंद तथा गणतंत्र दिवस को काले दिन के रूप में मनाने के बारे में भी फर्जी खबरें फैलाई गई हैं।