थराली/चमोली (नेटवर्क 10 टीवी के लिए कैलाश जोशी अकेला की रिपोर्ट)। देशभर में कोरोना से बचाव के लिए लॉकडाउन का एलान है, बिना अनुमति के सड़क पर फर्राटा भर रहे वाहनों के पास नही होने पर पुलिस कार्यवाही कर रही है, लेकिन चमोली के थराली में पिंडर नदी में जमकर मेफ़िया खनन कर रहे हैं। कहना सामग्री से भरे डम्फर धड़धड़ा कर फर्राटा भ्यार रहे हैं। आखिर किसकी अनुमति से ये काम हो रहा है।
थराली में पिण्डर नदी में रिवर ट्रेनिंग और राज्य के राजस्व को लेकर किए गए पट्टों की नीलामी के बाद लूट खसोट का जो कार्य किया जा रहा है उसे लेकर लोगों में चर्चाएं आम हैं। लोग यह जानना चाहते हैं कि आखिर पिंडर नदी में खनन कर रही यह मशीनें किसकी अनुमति से चल रही है। बता दें कि कोविड- 19 की रोकथाम के लिए किए गए लॉकडाउन फेज 1 के ब बाद राज्य सरकार ने गाइडलाइन जारी करते हुए राज्य में खनन कार्य शुरू करवाने के लिए नियम व शर्तें निर्धारित की थी, जिसमें प्रस्तावित था कि जो भी लोग कार्य करना चाहते हैं वे जिलाधिकारी से अनुमति लेकर कार्य कर सकते हैं।
चमोली मे जिलाधिकारी ने खनन सम्बन्धी कार्य की अनुमति की शक्तियां उपजिलाधिकारी को दे रखी है। खनन मे पट्टाधारक जो भी कार्य करेंगे उसके लिए उन्हें सारी सूचनाएं और अनुमति उपजिलाधिकारी से ही दी जानी थी। उपजिलाधिकारी थराली द्वारा बाकायदा खनन पट्टाधारकों को लॉकडाउन की शर्तों के अनुपालन सम्बन्धी नियमों की एक प्रति भी दी गयी। इसमें वाहनों एवं मशीनों के प्रयोग की यदि आवश्यकता है तो उसकी अनुमति भी उप जिलाधिकारी के माध्यम से प्राप्त करनी थी। लेकिन यहाँ खनन कर रही मशीनों को लेकर ना तो उपजिलाधिकारी और ना ही जिला खान अधिकारी ने कोई अनुमति दी है।
अब सवाल ये है कि आखिर मशीनें कैसी चल रही हैं। जबकि इसी खनन सामग्री को ढोने के लिए तहसील प्रशासन सहर्ष डंपरों की अनुमति दे देता है तो क्या ये माना जाए कि पौकलैंड मशीनें अवैध तरीके से इन खनन पट्टो पर खनन कार्य कर रही हैं। अगर ऐसा है तो खनन के पट्टो में इतनी भारी भरकम मशीनों के अवैध तरीके से लगे होने के बाद भी प्रशासन क्यों चुप्पी साधे बैठा है।
शासन प्रशासन आखिर किस तरह से कोविड 19 को लेकर सरकार की गाइडलाइन के अंतर्गत रखी शर्तों का अनुपालन करा रहा है। औद्योगिक इकाइयों में कोविड की शर्तो के अनुपालन के संबंध में जब पूर्व में उप जिलाधिकारी से मीडिया ने पूछा कि इसकी मॉनिटरिंग कौन करेगा तो उनके द्वारा बताया गया था कि उनके लिए अलग से एक कमेटी गठित की जाएगी जो प्रतिदिन देखेगी की शर्तों का अनुपालन हो रहा है। लेकिन कमेटी बनी ही नहीं।
इस संबंध में पूछे जाने पर उप जिलाधिकारी किशन सिंह नेगी का कहना है कि उनके द्वारा किसी भी मशीन की अनुमति खनन कार्य के लिए नहीं दी गई है। सवाल है कि खनन माफिया बेलगाम हो कर किस तरह मशीनों का संचालन कर रहे हैं। या तो खनन माफिया ने अधिकारियों से संतगांठ कर रखी है और या फिर अधिकारी भी माफिया से डर रहे हैं।
इस पूरे मामले पर शासन को संज्ञान लेना चाहिए।