नई दिल्ली : नौसेना से हटाए गए ऐतिहासिक युद्धपोत आईएनएस विराट को तोड़ने पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी है. याचिकाकर्ता ने कहा था कि इसे तोड़ने से अच्छा है कि म्यूजियम में तब्दील कर दिया जाए. विमान वाहक पोत विराट को 1987 में भारतीय नौसेना में शामिल किया गया था. वर्ष 2017 में इसे नौसेना से हटा दिया गया था, जिसे बाद में श्रीराम ग्रुप ने इसी साल नीलामी में 38.54 करोड़ रुपये में खरीद लिया था. भारतीय समुद्री विरासत के प्रतीक इस युद्धपोत को पिछले हफ्ते गुजरात के अलंग जहाज तोड़ने वाले यार्ड में पहुंचाया गया था.
सुप्रीम कोर्ट उस कीमत की जांच करने के लिए सहमत है जिसपर फर्म द्वारा इसे श्री राम शिप ब्रेकर्स से खरीदा गया है. इस मामले में केंद्र सरकार को नोटिस जारी करके दो सप्ताह में जवाब मांगा गया है.
आईएनएस विराट को 1959 में ब्रिटिश नौसेना में शामिल किया गया था. तब इसका नाम एचएमएस हर्मिस था. 1984 में इसे सेवानिवृत्त कर दिया गया. बाद में इसे भारत को बेचा गया. भारतीय नौसेना में इसे 12 मई, 1987 में शामिल किया गया. आईएनएस विराट कई महत्वपूर्ण अभियानों में शामिल रहा. इनमें ‘ऑपरेशन ज्यूपिटर’ और 1989 में श्रीलंका में शांति बरकरार रखने का अभियान शामिल है. इसके अलावा 2001 में भारतीय संसद पर हमले के बाद यह ‘ऑपरेशन पराक्रम’ में भी शामिल रहा.
अधिकारियों ने बताया कि इस जहाज को 2012 में सेवानिवृत्त किया जाना था, लेकिन आईएनएस विक्रमादित्य के आने में देरी की वजह से इसे टालना पड़ा. आईएनएस विक्रमादित्य को 2014 में भारतीय नौसेना में शामिल किया गया. अंतत: आईएनएस विराट को छह मार्च, 2017 को सेवानिवृत्त किया गया.