कोरोना से लड़ने का त्रिवेंद्र सरकार का नया फार्मूला !

(वरिष्ठ पत्रकार गुणानंद जखमोला की कलम से)

– कर्मचारियों और अफसरों को प्रमोशन दो तो नहीं होगा कोरोना
– उमाकांत पंवार जैसे भ्रष्ट अधिकारी की दोबारा नियुक्ति, लाकडाउन की उपलब्धि।

अपने त्रिवेंद्र चचा गजब ढंग से सरकार चला रहे है। भले ही चचा अब अपने गांव खैरासैंण का रुख भी नहीं कर रहे, लेकिन दंगलेश्वर महादेव (खैरासैंण के निकट स्थित महादेव मंदिर) की उन पर फुल कृपा है। शायद यही कारण है कि चचा सोच रहे हैं कि तीन साल तो कट ही गये, बाकी बचे दो साल। तो वो भी ज्वाल्पा देवी और दंगलेश्वर महादेव की कृपा से कट जाएंगे। रही बात कोरोना से लड़ने की तो जब कांग्रेसियों को तो सीएम आवास में फटकने भी नहीं दिया तो कोरोना कहां से आएगा?

अब बात त्रिवेंद्र चचा के कोरोना से लड़ने की रणनीति की। लाॅकडाउन के दौरान सचिवालय खुला और विधानसभा भी। मंत्रियों ने अपने कक्ष में बैठकर जुगाड़ लगाया और अपने चमचों और चाटुकारों को प्रमुख पदों पर बिठाना शुरू कर दिया। चुन-चुन कर विभिन्न विभागों में चाटुकार और भ्रष्टाचार में साथ देने वालों को प्रमोशन दे दिया गया। हालांकि सभी लोगों को प्रमोशन इस आधार पर नहीं दिये गये, लेकिन सवाल यह है कि महामारी के दौर में थोक भाव में प्रमोशन किसलिए दिये गये? क्या प्रमोशन हासिल करने वाले कर्मचारियों या अधिकारियों को कोरोना नहीं होगा? क्या गारंटी है चचा? फिर इनको प्रमोशन क्यों दिया? बेहतर होता कि कोरोना से जंग की तैयारी जोरों से की जाती। आप तो टेस्टिंग भी नहीं बढ़ा रहे।

एक ओर आप कोरोना वारियर्स यानी पुलिसकर्मी, हेल्थ वर्कर, स्वच्छता कर्मियों को इन्सेंटिव देने की जगह उनके डीए पर भी डाका डाल रहे हो तो दूसरी ओर वन, सिंचाई, शिक्षा, कृषि-उद्यान समेत अनेक विभागों में बंपर प्रमोशन दे दिये। नियुक्तियां कर डाली, बिना यह विचारे कि एक लाख 56 हजार बेरोजगार युवाओं, जिन्होंने वन आरक्षी की परीक्षा दी थी, उसकी परीक्षा भी आपके कुशल नेतृत्व और जीरो टोलरेंस सरकार ने लीक करवा दी और वो बेचारे लाॅकडाउन में अवसाद के शिकार हैं। उनका क्या होगा? सोचा आपने? काश आपका बेटा होता और वो बेरोजगार होता?

लेकिन अपने चचा तो चचा ठहरे। उमाकांत पंवार जैसे भ्रष्टाचार के आरोपी और तिकड़मी नौकरशाह को दोबारा गुपचुप नौकरी दे दी। जरूर मनीषा ने वकालत की होगी। आप ठहरे भोले-भंडारी, नारी कुछ कहे और आप न पिघलें। हो ही नहीं सकता। ये बात अलग है कि उत्तरा पंत पर नहीं पिघले।

तो ठीक कर रहे हो चचा। बहुत ठीक, आखिर इतिहास लिखा जा रहा है उत्तराखंड का। जब तिवारी, खंडूडी, निशंक और हरदा जैसे सीएम को जनता ने नकार दिया तो आप क्यों टेंशन लेते हो। अभी दो साल हैं ऐश कर लो। 2022 में देख लेंगे जो होगा। हां यदि मुझे अपना प्यारा भतीजा मानते हो तो सभी कर्मचारियों को प्रमोशन दे दो ताकि उनको कोरोना न हो। क्योंकि सरकारी नौकरी पाने वाले लोग तो भगवान होते हैं और धरती के भगवान को ही कोरोना हो जाएगा तो हम जैसे साधारण मानव कहां जाएंगे? और जनता तुम्हारा क्या, जनता तो 70 साल से राम भरोसे चल रही है और कोरोना काल में भी। तो चचा गाओ भजन और बजाओ ताली-थाली।

नोट- ये लेखक के अपने निजी विचार हैं। नेटवर्क 10 टीवी का इनसे सहमत होने का कोई संबंध नहीं है।

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