किसी अन्य धर्म के ऊपर बेतुकी बयानबाजी करने वाले धार्मिक नेताओं को मद्रास हाई कोर्ट ने शुक्रवार को कड़ी फटकार लगाई है. मद्रास हाई कोर्ट ने कुछ लोगों द्वारा अन्य धर्मों पर दिए जाने वाले ‘तुच्छ’ बयानों को लेकर चिंता जताते हुए शुक्रवार को कहा कि दूसरों की आस्था के खिलाफ ”जहर उगलना धर्म के सबसे महत्वपूर्ण उद्देश्य की अवहेलना करता है.” कोर्ट ने ईसाई मत के प्रचारक मोहन सी लजारुस के खिलाफ दायर कई याचिकाओं की सुनवाई के दौरान यह टिप्पणी की.
मोहन सी लजारुस हिंदू मंदिरों के खिलाफ विवादित बयानबाजी करने के आरोप में कई मामलों का सामना कर रहे हैं. हालांकि लजारुस के बिना शर्त माफी मांगने के बाद जस्टिस एन आनंद वेंकेटेश ने उनके खिलाफ दर्ज FIR और आपराधिक कार्यवाही को रद्द कर दिया है. जस्टिस ने कहा, ” दुर्भाग्यवश, कई मामलों में लोग धर्मांध होते हैं और अन्य धर्मों के खिलाफ तुच्छ बयान देते हैं. ऐसे बयान देने वाले लोग सोचते हैं कि इस तरह के बयान उनकी धर्म के प्रति आस्था को बेहतर बनाएंगे. धर्म का यह उद्देश्य नहीं है.”
सभी धर्मों के सम्मान पर जोर देती है भारतीय पंथनिरपेक्षता
मद्रास हाई कोर्ट के (Madras high court) जस्टिस ने कहा कि पश्चिमी देशों में धर्मनिरपेक्षता (सेक्युलरिज्म) आमतौर पर राज्य (सरकार) और धर्म के बीच अंतर पर जोर देता है, जबकि भारतीय पंथनिरपेक्षता (सेक्युलिरज्म) सभी धर्मों के प्रति समान भावना रखने पर जोर देती है.
याचिकाकर्ता के खिलाफ आपराधिक कार्यवाही शुरू करने के लिए दायर कई FIR को खारिज करते हुए, अदालत ने यीशु मसीह के कहे एक कथन का भी जिक्र किया कि “धर्म या उसके आदर्श किसी भी परिस्थिति में अपने धर्म की वृद्धि और प्रसार के लिए अपने अनुयायियों को किसी अन्य धर्म के खिलाफ उसे अयोग्य ठहराने के लिए उकसाते नहीं हैं.”