अल्मोड़ा: कोसी पुनर्जनन महाअभियान का हिस्सा बनी सहायक कुंज नदी (कुंजगढ़) को नया जीवन देने को अभिनव प्रयोग शुरू हो गया है। कौशिकी को सींचने वाली इस नदी के दो मुख्य रिचार्ज जोन राज्य में माडल बनेंगे। दधीचि अवार्डी की सोच व उद्यान विशेषज्ञों की पहल पर सौखोला व सौनी बिनसर की पहाड़ी पर बहुपयोगी वनस्पति प्रजातियों के साथ ही फल पट्टी विकसित होगी। ढलान वाले क्षेत्र फूलों की घाटी जैसी शक्ल लेंगे। खास बात कि शीतकालीन सत्र में जल व नदी संरक्षण के साथ जंगली जानवरों से फसल बचाने को अनूठी मुहिम शुरू कर दी गई है।
कभी थी 12 पनचक्कियां
कभी कुंज 22 किमी के दायरे में छलछलाती थी। ताड़ीखेत ब्लाक में धुराफाट व फल्दाकोट पट्टी के 80 से ज्यादा गावों को पेयजल व कई सौ हेक्टेयर खेतों को सींचती थी। 1985 तक नदी के इर्दगिर्द 12 पनचक्कियां थीं, जो अब इतिहास बन चुकी हैं। वर्ष 2016 में प्रो. जीवन सिंह रावत ने इसे मौसमी नदी घोषित कर बचाने को शोध अध्ययन शुरू किया।
ताकि जिंदा रह सकें फल पौधे
उद्यान प्रभारी इंद्रलाल लगातार ग्रामीणों को फलों के पौधे लगाने की तकनीक बता रहे। पौधे के लिए गड्ढे की गहराई व सिंचाई का प्रशिक्षण भी दे रहे। उन्होंने बताया कि डीएम के निर्देश पर आगे और प्रजातियां लगाई जाएंगी।
पंचायत प्रतिनिधि, ब्लाक प्रमुख हीरा रावत, प्रधान विक्रम उपाध्याय व बीडीसी मोहन सिंह बिष्ट, सरपंच किशन सिंह, बिनसर महादेव के महंत गोधनगिरि महाराज, कमल उपाध्याय, चेतन उपाध्याय, राजू पपनै, दिगंबर नेगी आदि पंचायत प्रतिनिधि भी मुहिम में हाथ बंटा रहे।
‘कुंज के कुछ रिचार्ज जोन आदर्श, आकर्षक व मिश्रित वन के रूप में विकसित करेंगे। विभिन्न फल प्रजातियां लगाने से बंदर व लंगूरों को भरपेट भोजन मिलेगा तो वे खेतों का रुख कम करेंगे। फसल बचेगी और ग्रामीणों की मदद से कुंज नदी को बचाने का अभियान भी मुकाम की ओर बढ़ेगा। प्रो. जीवन सिंह रावत के निर्देशन में जीआइएस तकनीक पर माइक्रोप्लान भी अंतिम चरण में है।
– दधिचि अवार्डी प्रकाश जोशी, जिला समनव्यक यूसर्क’