बागेश्‍वर में पशुपालन और उन्नत खेती से रुकेगा गांवों से पलायन

बागेश्वर : बागेश्वर जिले में पलायन आयोग की रिपोर्ट के अनुसार 23 हजार लोगों ने पलायन किया है। जिसमें कपकोट तहसील से सबसे अधिक पलायन हुआ है। धार्मिक और पर्यटन के लिए विख्यात बागेश्वर जिला भी पलायन की मार से बच नहीं पाया है। यहां स्थायी की जगह अस्थायी पलायन अधिक हुआ है। अलबत्ता पशुपालन, कृषि से पलायन रुकेगा।

जिले में विश्व प्रसिद्ध पिंडारी, कफनी ग्लेशियर के अलावा सुंदरढूंगा घाटी, महात्मा गांधी के सपनों का मिनी स्वीटजरलैंड कौसानी और बैजनाथ धाम धार्मिक और पर्यटन की दृष्टि महत्वपूर्ण हैं। यहां सालभर देशी-विदेशी पर्यटकों का आना-जाना रहता है। जिससे स्थानीय होटल, रेस्टोंरेंट, दुकान और अन्य स्थानीय उत्पादन चलते हैं।

लेकिन स्थानीय लोगों को स्वास्थ, शिक्षा आदि की बेहतर सुविधा नहीं मिलने से पलायन का दंश गांव झेल रहे हैं। पलायन आयोग की रिपोई के अनुसार जिले में 23 हजार ने अस्थायी रूप से पलायन किया। जबकि कपकोट तहसील में पिछले दस साल में जनसंख्या वृद्धि दर शून्य से तीन प्रतिशत नीचे हो गई। अलबत्ता ढ़ाई लाख जनसंख्या में यहां ल

बागेश्वर के मुख्य विकास अधिकारी डीडी पंत ने बताया कि कोविड-19 के कारण घर लौटे प्रवासियों के लिए योजनाएं संचालित की जा रही हैं। स्वरोजगार के लिए उन्हें ऋण प्रदान किया जा रहा हे। जिससे पलायन को रोका जा सकेगा और सरकार के दिशा-निर्देश, योजनाओं पर बेहतर काम होगा।

195 ग्राम पंचायतों से सबसे अधिक पलायन

जिले की जनसंख्या 2,59,898 है। जिसमें पुरुष 1,24,326 और महिलाएं 1,35,572 शामिल हैं। 346 ग्राम पंचायतों से कुल 23,388 ने अस्थायी रूप से पलायन किया है। 195 ग्राम पंचायतों से 5912 व्यक्तियों ने पूर्णरूप से पलायन कर चुके हैं।

कृषि और पशुपालन पर फोकस

विधायक कपकोट बलवंत भौर्याल ने कहा कि पलायन रोकने को सरकार गंभीर है। पशुधन, कृत्रिम गर्भाधान केंद्र खोल जाएंगे। दुग्ध उत्पादन बढ़ाया जाएगा। पनीर, घी आदि बनाने का महिलाओं को प्रशिक्षण दिया जाएगा। दुग्ध समितियों को बढ़ाया जाएगा। इसके अलावा होमस्टे, पर्यटन स्थलों को विकसित, कौशल विकास प्रशिक्षण, बंदर और सूअरों से फसल बचाने का प्रयास होगा।

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