चमोलीः सूबे के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत आज रुद्रप्रयाग और चमोली दौरे पर हैं. इस दौरान सीएम त्रिवेंद्र दशोली विकासखंड की निजमुला घाटी के दुर्मी ताल भी पहुंचे. इस दौरान सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने सीमांत जनपद चमोली के दुर्मी ताल में आयोजित कार्यक्रम में स्थानीय लोगों से मुलाकात की.
एक दर्जन योजनाओं का ऐलान
इस मौके पर मुख्यमंत्री ने दुर्मी-निजमुला घाटी में एक प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र खोलने समेत बदरीनाथ विधानसभा क्षेत्र के विकास के लिए बुनियादी सुविधाओं से संबंधित लगभग एक दर्जन घोषणाएं कीं. उन्होंने कहा कि इस योजनाओं को अमल में लाने के लिए आगामी बजट में धनराशि की घोषणा की जाएगी और अगले पांच साल में पूरी तरह धरातल पर उतार दिया जाएगा. इस दौरान मुख्यमंत्री ने गोपेश्वर में जिला प्रशासन द्वारा संचालित प्रेरणा कोचिंग सेंटर में युवाओं से संवाद किया. उन्होंने कहा कि पूर्व राष्ट्रपति डॉ एपीजे अब्दुल कलाम और स्वामी विवेकानंद जी जैसे महापुरूषों के आदर्श सफलता के मूलमंत्र हैं.
दुर्मी घाटी में 14 ग्राम पंचायत शामिल
दरअसल, दुर्मी घाटी में 14 ग्राम पंचायत शामिल हैं. घाटी की जनसंख्या लगभग 8000 है. विकास और बुनियादी सुविधाओं की दृष्टि से इस घाटी में अभी बहुत कुछ होना बाकी है.
दुर्मी ताल से जुड़ी है पौराणिक मान्यता
निजमुला घाटी की सुरम्य वादियों के मध्य स्थित दुर्मी ताल का धार्मिक महत्व भी है. मान्यता है कि जब मां पार्वती ने भगवान शिव से इस स्थान पर थोड़ी देर विश्राम करने की इच्छा जताई, तो भगवान शिव ने मां पार्वती के आग्रह पर यहां कुछ पल बिताया था. इसी दौरान प्यास बुझाने और स्नान के लिए भोले नाथ ने अपनी त्रिशूल से एक तालाब उत्पन्न कर दिया. जिसे दुर्मी ताल नाम से जाना जाता है.
हिला दिया था दुर्मी ताल ने
वर्ष 1971 में भारी बारिश और बादल फटने से दुर्मी ताल फट गया. तब चमोली में जिला मुख्यालय था. ताल का मलबा जिला मुख्यालय के भवनों को अपने साथ बहा ले गया. बिरही में लोगों के खेत-खलियान बह गए थे. इसके बाद जिला मुख्यालय को गोपेश्वर में शिफ्ट कर दिया गया. तब से दुर्मी ताल बिखरा पड़ा है.