देहरादून:संकट में ही नायक की पहचान होती है। जब राज्य उत्तराखंड जैसा हो तो यह जिम्मेदारी और भी बढ़ जाती है। संकट के समय असल नायक ही मोर्चे पर जाता है वरना बनाने को बहाने तो हजार हैं। इस कसौटी पर तौलें, तो मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने आज एक बार फिर खुद को असली और सच्चा नेतृत्वकर्ता साबित कर दिखाया है। दरअसल उत्तराखंड को आज अनायास एक और आपदा से दो चार होना पड़ा। उत्तराखंड के चमोली जिले के रैनी में रविवार सुबह ग्लेशियर फट गया।
जैसे ही मुख्यमंत्री को तपोवन क्षेत्र में ग्लेशियर फूटने की सूचना मिली उन्होंने तत्काल अपने पायलट को हैलीकाप्टर तैयार करने के निर्देश दिए और 40 मिनट के भीतर प्रभावित स्थल पहुंच गए। यह पहली बार है जब आपदा के तत्काल बाद खुद सूबे का मुख्यमंत्री स्थानीय प्रशासन के साथ ही मौके पर पहुंच गया हो। वरना उत्तराखंड ने तो उन मुख्यमंत्रियों को भी देखा है जो केदार आपदा के तीन दिन बाद तक भी मूक दर्शक बने बैठे रहे।
मुख्यमंत्री ने खुद तो मोर्चा संभाला ही, प्रदेश की नौकरशाही को भी रेस्क्यू अभियान की मॉनिटरिंग में लगा दिया। प्रदेश के सबसे बड़े नौकरशाह, मुख्य सचिव ओम प्रकाश को मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कंट्रोल रूम में बिठा कर पल-पल की अपडेट मॉनिटर करने की अहम जिम्मेदारी दी। चमोली जिला प्रशासन और पुलिस बल को वे पहले ही निर्देश दे चुके थे। मुख्यमंत्री की सक्रियता का असर यह रहा कि घटना के तत्काल बाद ही रेस्क्यू अभियान शुरू हो गया और धीरे-धीरे हाताल सामान्य होने लगे। आज सुबह तपोवन में आई आपदा के बाद पूरे प्रदेश में अफरा-तफरी के हालात पैदा हो गए थे।
सोशल मीडिया में घटना को लेकर कई वीडियो और तस्वीरें आ गई थी जिसके बाद लोग इस आपदा की विभीषिका को लेकर तरह-तरह की आशंकाएं जता रहे थे। ऐसे में मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने सबसे पहले लोगों से सावधानी बरतने के साथ ही अफवाहों पर ध्यान न देने की अपील की। मुख्यमंत्री की इस अपील से लोगों का सरकार पर भरोसा बढ़ा। कुल मिलाकर संकट की इस घड़ी में मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने धैर्य, सूझबूझ और संवेदनशीलता का शानदार उदाहरण प्रस्तुत किया है। यह पहली बार नहीं है जब मुख्यमंत्री ने संवेदनशीलता दिखा कर जनता का दिल जीता है। इससे पहले भी वे संकट के वक्त लोगों के बीच पहंच कर अपने असली नेतृत्वकर्ता होने के गुण को साबित कर चुके हैं।