देहरादून। विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष समेत सभी विधायकों के वेतन-भत्तों से 30 फीसद कटौती का रास्ता अब साफ हो गया है। यह कटौती बीते एक अप्रैल से 31 मार्च, 2021 तक की जाएगी। राज्य मंत्रिमंडल ने गुरुवार को इस संबंध में उत्तराखंड राज्य विधानसभा (सदस्यों की उपलब्धियां और पेंशन) (संशोधन) अध्यादेश, 2020 को मंजूरी दी। इस वर्ष राज्य विधानसभा का दूसरा सत्र 23 सितंबर से 25 सितंबर तक देहरादून में होगा। सचिवालय में गुरुवार को मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की अध्यक्षता में मंत्रिमंडल की बैठक में 14 बिंदुओं पर चर्चा हुई। इनमें 13 पर निर्णय लिए गए, एक बिंदु पर फैसला स्थगित हो गया।
कोविड-19 महामारी के चलते कैबिनेट ने मुख्यमंत्री समेत सभी मंत्रियों और सभी विधायकों के वेतन और भत्तों में 30 फीसद कटौती का फैसला लिया था। बाद में विधानसभा ने कैबिनेट के इस फैसले को लागू करने से पहले सभी विधायकों से सहमति ली। मंत्रिमंडल के फैसले के बावजूद सत्तारूढ़ दल भाजपा के विधायक ही वेतन-भत्तों में उक्त कटौती कराने से कन्नी काट गए। वहीं सरकार पर उक्त फैसले में विपक्ष को साथ नहीं लेने का आरोप लगा रही प्रमुख विपक्षी पार्टी कांग्रेस के सभी विधायकों ने मंत्रिमंडल के फैसले का पालन किया। सत्तारूढ़ दल के विधायकों के रवैये से किरकिरी होने के बाद मंत्रिमंडल को आखिरकार इस संबंध में अध्यादेश लाना पड़ा। संशोधित अध्यादेश में विधायकों के साथ नेता प्रतिपक्ष को कटौती के दायरे में रखा गया है। हालांकि नेता प्रतिपक्ष डॉ. इंदिरा हृदयेश पहले ही इस संबंध में अपनी सहमति दे चुकी हैं।
मंत्रिमंडल के फैसलों की जानकारी देते हुए सरकार के प्रवक्ता व कैबिनेट मंत्री मदन कौशिक ने बताया कि अध्यादेश के बाद अब सत्तापक्ष और विपक्ष के सभी विधायकों के वेतन के साथ निर्वाचन क्षेत्र भत्ते और सचिवीय भत्ते से 30 फीसद कटौती होगी। कोविड-19 महामारी से उत्पन्न विपदा के मद्देनजर एक अप्रैल 2020 से 31 मार्च, 2021 तक यह कटौती की जाएगी।
अध्यादेश के दायरे से विधानसभा अध्यक्ष और उपाध्यक्ष रहेंगे बाहर